राजस्थान के उच्च न्यायालय ने 10 सितंबर 2014 को जयपुर में विभिन्न शवदाहगृहों में जातिगत भेदभाव को खत्म करने का आदेश दिया. पीठ ने जयपुर नगर निगम (जेएमसी) को इस संबंध में एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
यह फैसला एक जनहित याचिका जिसमें कहा गया था कि अकसर एससी और एसटी समुदायों के लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें अन्य जातियों की तरह आखिरी रस्मों को पूरा करने की अनुमति नहीं दी जाती है, पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सुनील अम्बावानी और जस्टिस वी एस श्रद्धना की उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने दिया. कोर्ट ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि नगर निगम ऐसे शवदाहगृहों का प्रबंधन देखता है जहां जाति के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह सभी समुदायों का हक है कि वे शवदाहगृह में आखिरी रस्मों को पूरा करें और इसे जातिगत आधार पर नहीं बांटा जाना चाहिए.
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