राज्यपाल राम नाईक ने 16 दिसम्बर 2015 को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश 2015 को मंजूरी दे दी. ब्रिटिशकाल से पूर्व के राजस्व कानून को संशोधित करने के उद्देश्य से यह अध्यादेश लाया गया. सरकार ने रेवेन्यू कोड आर्डिनेंस के तहत इसे पारित कराया है. कानून का रूप देने के लिए इसे छह माह में सदन में पास करवाया जाएगा.
- नए अध्यादेश के तहत अब उत्तर प्रदेश के दलितों को अपनी भूमि गैर-दलितों को बेचने का अधिकार मिल गया.
- भले ही विक्रेता के पास साढे तीन एकड से भी कम भूमि क्यों ना हो.
- इस अध्यादेश के बाद पट्टे पर खेती को भी वैधानिक मंजूरी मिल गई है. इसमें जमीन से जुड़े अन्य प्रावधान भी किए गए हैं.
रेवेन्यू कोड ऑर्डिनेंस में मुख्य तथ्य-
- सरकारी जमीन पर दिए जाने वाले पट्टे में अब पट्टा धारक की पत्नी भी सह खातेदार होगी. दोनों के बीच विवाद की स्थिति में वह बराबर की हिस्सेदार होगी. पट्टा हासिल करने के बाद पति की मौत पर भी पत्नी हकदार होगी.
- कोई भी व्यक्ति 5.0586 हेक्टेअर से ज्यादा जमीन सरकार की अनुमति के बिना नहीं खरीद सकेगा. यदि उसके पास पहले से जमीन है तो उसको जोड़कर कुल सीमा इतनी होनी चाहिए. इससे व्यावसायिक उपयोग के लिए किसानों से सस्ती जमीन खरीदने वालों पर लगाम लगेगी.Hindi eBook November 2015
- पैतृक जमीन की खतौनी में कई खातेदार होते हैं. उसमें यह साफ नहीं होता कि कौन सी जमीन किसकी है. यदि आठ खातेदार हैं तो 1/8 लिखा होता है. अब जमीन की खतौनी में सह-खातेदारों के नाम के साथ उनके हिस्से का उल्लेख किया जाएगा. जमीन का भी सीमांकन होगा.
- बड़ी योजनाओं के लिए अर्जित भूमि के बीच में पड़ने वाली लोक उपयोगिता की श्रेणी बदलने के लिए सरकार सक्षम होगी.
- राजस्व विवादों के निस्तारण के लिए उप जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी न्यायिक और अपर आयुक्त न्यायिक की नियुक्ति सरकार कर सकेगी. अभी तक तहसीलदार न्यायिक का ही प्रावधान था.
- खाली जमीन पर चहारदीवारी बनाने भर से ही यह नहीं हो जाएगा कि वह उसका मालिक है.
- जमीन संबंधी वादों के निस्तारण के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर राजस्व समिति होगी. वहां आपसी सुलह से सह खातेदारों के हिस्सों को तय किया जा सकेगा.
- किसी बकाएदार पर 50 हजार रुपए से कम बकाया है तो उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकेगी.
- इससे पहले इस अध्यादेश को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 में संशोधन के लिए राज्य सरकार द्वारा मंजूरी के लिए भेजा गया था. जो पारित नहीं हो सका था.
क्या था पहले-
- पहले ऐसी सूरत में जिलाधिकारी से अनुमति लेने के बाद ही गैर-दलित किसी दलित की भूमि खरीद सकता था.
- इस अध्यादेश से ऐसे जरूरतमंद दलित जिन्हे किसी तरह की पूँजी की आवश्यकता हो तो वे अपनी मर्जी से अपनी भूमि को बेच सकेगा.
- प्रदेश सरकार राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में संभवत संशोधन विधेयक पेश करेगी.
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