राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तीन हत्यारों की दया याचिकाओं को 11 अगस्त 2011 को खारिज कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2000 में राजीव गांधी के तीन हत्यारों मुरुगन, संथान और पेरारिवलन को फांसी की सजा सुनाई थी.
ज्ञातव्य हो कि 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. निचली अदालत ने सुनवाई के बाद वर्ष 1999 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सदस्यों मुरुगन, संथान, पेरारिवलन और नलिनी को फांसी की सजा सुनाई थी. सर्वोच्च न्यायालय ने मुरुगन, संथान और पेरारिवलन की फांसी की बरकरार रखी थी, जबकि नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.
मुरुगन, संथान और पेरारिवलन ने सर्वोच्च न्यायालय की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी. गृह मंत्रालय ने 21 जून 2005 को अपनी राय राष्ट्रपति एपीजे अबुल कलाम को भेजी थी, जिसे 23 फरवरी 2011 को राष्ट्रपति भवन से समीक्षा के लिए वापस गृह मंत्रालय के पास भेजा गया था. गृह मंत्रालय ने अपनी राय आठ मार्च 2011 को फिर से राष्ट्रपति को सौंप दी थी.
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