राष्ट्रहित में असाधारण संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए किसी भी अधिकारी की बिना जांच या कारण बताए बर्खास्तगी न्यायोचित है. यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुंदकम शर्मा और न्यायमूर्ति एआर दवे की पीठ ने 31 मार्च 2011 को दिया. पीठ ने अपने निर्णय में निर्देश दिया कि राष्ट्रहित से जुड़े विशेष मामलों में अनुशासनात्मक प्राधिकार इस तरह की बर्खास्तगी के कारणों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं है.
पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 का ए, बी और सी उपबंध का इस्तेमाल अपनी प्रकृति में विशेष और असाधारण है, अनुशासनात्मक प्राधिकार इस बर्खास्तगी के कारण को बताने की सूचना देने के लिए बाध्य नहीं है.
विदित हो कि चीन में तैनाती के दौरान राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में राजनयिक एमएम शर्मा को 3 जून 2010 को बर्खास्त कर दिया गया था. इसके बाद एमएम शर्मा ने अपनी बर्खास्तगी को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी. केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने उनकी याचिका खारिज कर दी. न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ एमएम शर्मा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी. इसकी सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 सितम्बर 2010 को केंद्र सरकार से उनकी बर्खास्तगी के बारे में ब्योरेवार आदेश देने को कहा था. इस पर केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की थी.
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