राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अपना 68वां सर्वेक्षण प्रतिवेदन (रिपोर्ट) 20 जून 2013 को जारी किया. रिपोर्ट के अनुसार देश के ग्रामीण इलाकों में सबसे निर्धन लोग औसतन मात्र 17 रुपए प्रतिदिन और शहरों में सबसे निर्धन लोग 23 रुपए प्रतिदिन में जीवन यापन करते हैं.68वें सर्वेक्षण रिपोर्ट की अवधि जुलाई 2011से जून 2012 तक थी.
वर्ष 2011-12 (जुलाई- जून) से संबद्ध आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में निचले स्तर पर 5 प्रतिशत आबादी का प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च 521.44 रुपए रहा, जबकि शहरी इलाकों में यह 700.50 रुपए रहा. वहीं दूसरी ओर, आबादी के शीर्ष 5 प्रतिशत का प्रति व्यक्ति मासिक खर्च ग्रामीण इलाकों में 4 481 रुपए, जबकि शहरी इलाकों में 10282 रुपए रहा.
यह सर्वेक्षण ग्रामीण इलाकों में 7496 गांवों और शहरों में 5263 इलाकों के नमूनों पर आधारित है. अखिल भारतीय स्तर पर औसतन प्रति व्यक्ति मासिक खर्च ग्रामीण इलाकों में करीब 1430 रुपए, जबकि शहरी इलाकों में 2630 रुपए रहा. एनएसएसओ ने कहा इस प्रकार से शहरी इलाकों में औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च, ग्रामीण इलाकों के मुकाबले करीब 84 प्रतिशत अधिक रहा.
ग्रामीण भारतीयों ने वित्तवर्ष 2011-12 के दौरान खाद्य पर आय का औसतन 52.9 प्रतिशत खर्च किया जिसमें मोटे अनाज पर 10.8 प्रतिशत, दूध और दूध से बने उत्पादों पर 8 प्रतिशत, पेय पर 7.9 प्रतिशत और सब्जियों पर 6.6 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.
गैर खाद्य वस्तुओं के वर्ग में खर्च में घरेलू उद्देश्यों के लिए ईधन और बिजली (परिवहन खर्च छोड़कर) पर खर्च 8 प्रतिशत, कपड़ा एवं जूता चप्पल पर 7 प्रतिशत, दवा इलाज पर 6.7 प्रतिशत, शिक्षा पर 3.5 प्रतिशत खर्च किया गया.
भारत में जनवरी, 2012 में करीब 1.4 करोड़ लोगों को नौकरी मिली. रोजगार प्राप्त करने वाले लोगों की यह संख्या वर्ष 2010 के इसी माह की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, अखिल भारतीय स्तर पर एनएसएसओ के 66वें दौर के सर्वेक्षण के आधार पर एक जनवरी 2010 को कार्यबल की संख्या 45.9 करोड़ थी जो एक 68वें दौर के सर्वेक्षण में जनवरी 2012 तक बढ़कर 47.29 करोड़ पहुंच गई.
रिपोर्ट के अनुसार रोजगार प्राप्त 47.29 करोड़ लोगों में से 23.46 करोड़ ग्रामीण पुरुष थे, जबकि 10.18 करोड़ ग्रामीण महिलाएं थीं. वहीं शहरी इलाकों में रोजगार प्राप्त करने वाले पुरषों की संख्या 10.92 करोड़ पुरुष व 2.73 करोड़ महिलाएं थीं. यह सर्वेक्षण 1,01,724 परिवारों से लिए गए नमूनों पर आधारित है जिसमें 59,700 ग्रामीण इलाकों और 42,024 शहरी इलाकों को लिया गया.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने भारत में रोजगार और बेरोजगारी के प्रमुख संकेतक जारी किए हैं. ये संकेतक जुलाई-2011-जून 2012 के दौरान किए गए 68वें दौर के सर्वेक्षण में एकत्रित किए गए आंकड़ों से तैयार किए गए हैं. रोजगार एवं बेरोजगारी संबंधी एनएसएस सर्वेक्षण पंचवार्षिक रूप से आयोजित किए जाते हैं जो 27वें दौर (अक्तूबर 1972-सितंबर 1973) से शुरू किए गए हैं तथा पिछला पंचवर्षीय सर्वेक्षण एनएसएस 66वें दौर (जुलाई 2009-जून 2010) में आयोजित किया गया था. जिसके परिणाम पहले ही जारी किए जा चुके हैं. यह इस विषय पर नौंवा पंचवर्षीय दौर था.
रोजगार एवं बेरोजगारी संबंधी पंचवर्षीय सर्वैक्षण के विस्तृत परिणाम एनएसएसओ कई रिपोर्टों के जरिए प्रकाशित करता है. सर्वेक्षण के मुख्य-मुख्य परिणाम उपलब्ध कराने के मद्देनजर तथा योजना बनाने, नीति निर्माण, निर्णय लेने में सहायता प्राप्त करने तथा आगे और सांख्यिकीय कवायदों के लिए एनएसएसओ ने अपनी रिपोर्टों को जारी करने से पहले ही प्रमुख संकेतकों को जारी कर दिया है.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय को ही राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी स्थापना वर्ष 1950 में हुई थी. यह भारत का सबसे बड़ा संगठन है, जो नियमित रूप से देश का सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण करता है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन कार्य करता है.
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