जनवरी 2010 के नेचर केमिस्ट्री पत्रिका में प्रकाशित शोध के अनुसार नाभिकीय संयंत्र से निकलने वाले कचड़े की सफाई के लिए एक यौगिक पदार्थ का निर्माण किया गया. यह संशलिष्ट (सिंथेटिक) पदार्थ गैलियम, सल्फर और एंटीमनी से बना गया. रेडियोधर्मी पदार्थ सिजियम पर काबू पाने के लिए नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं मरकौरी जी. कानेजीडीस, चार्ल्स ई. और एमा एच. मॉरिसन ने इस यौगिक पदार्थ का निर्माण किया.
आणविक कचड़े में मौजूद अन्य अहानिकारक पदार्थ जैसे सोडियम आयन की मात्रा काफी अधिक होती है (सोडियम:सिजियम = 1000:1). इस पदार्थ की विशेषता यह है कि यह सिर्फ रेडियोएक्टिव सिजियम के साथ ही रासायनिक प्रतिक्रिया कर उसे अपने अंदर कैद कर लेता है. यह एक छिद्रदार पदार्थ है, जिसमें अणुओं की संरचना खुले और परतदार व्यवस्था में है. ऐसी संरचना के कारण जब सिजियम आयन इसके साथ (खासकर सल्फर के साथ) रासायनिक प्रतिक्रिया करता है तो इस पदार्थ की संरचना में बदलाव आते हैं जिससे इसके छिद्र बंद हो जाते हैं जबकि सिजियम आयन अंदर कैद हो जाता है. अहानिकारक क्षारीय और आयनिक तत्वों के साथ यह पदार्थ निष्क्रिय रहता है.
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