रेल मंत्री ममता बनर्जी ने वित्तीय वर्ष 2010-11 के रेल बज़ट में एक बार फिर से माँ–माटी-मानुष के संरक्षक के रूप में अपनी छवि को पेश किया। यात्री या माल भाड़ों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं करने के बावजूद रेलकर्मियों के लिए सभी के लिए आवास सहित अन्य योजनाओं का भी उन्होंने प्रस्ताव रखा। स्वास्थ्य सुविधाएं, बीमा, रहने को घर से लेकर महिला कर्मियों के शिशुओं के लिए शिशु सदन (क्रेच) आदि तक के वायदे किये। रेल बज़ट 2010-11 में रेल कर्मियों के लिए की गई प्रमुख घोषणाएँ :
- अगले दस साल में सभी रेलकर्मियों को आवास मुहैया कराने के लिए शहरी विकास मंत्रालय की सहायता से सभी के लिए आवास नामक नयी योजना की शुरुआत।
- 80,000 महिला कर्मचारियों के बच्चों के लिए शिक्षा सुविधाओं के विकास की घोषणा। उनके बच्चों के लिए 50 क्रेच और 20 हॉस्टल।
- अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त अस्पताल खोलने की बात।
- रेल कर्मचारियों और उनके बच्चों के लाभार्थ लगभग 522 अस्पताल एवं उपचार केन्द्र, 50 केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय की तर्ज पर दस आवासीय विद्यालय, मॉडल डिग्री कॉलेज और राष्ट्रीय महत्व के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थान के स्थापना की बात।
- कर्मचारी कल्याण निधि में अंशदान को 350 से बढ़ाकर 500 रुपए प्रति कर्मचारी किया।
- सभी लाइसेंसधारी कुली, वेंडर और फेरीवालों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत लाने की बात।
- गैंगमेन के लिए विशेष सुविधाओं के स्थापना की योजना।
- रेलवे की कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के तहत लाइसेंसधारी कुलियों के लिए बीमा की सुविधा।
- बिजली खपत कम करने के लिए रेल कर्मचारियों को 26 लाख सीएफएल बल्ब वितरण की योजना।
- हॉकी के विकास के लिए एस्ट्रोटर्फ मुहैया करवाने की बात।
- नीतियों के निर्माण में कर्मचारी संगठनों को शामिल करने की बात।
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