विक्टर ऑर्बन लगातार दूसरी बार चार वर्ष के कार्यकाल के लिए हंगरी के प्रधानमंत्री पद पर पुन:निर्वाचित हुए. आम चुनावों के नतीजे 8 अप्रैल 2014 को घोषित किया गया था.
आम संसदीय चुनाव 6 अप्रैल 2014 को हुए थे. कुल मतों में से ऑर्बन की फीडेज पार्टी ने 199 में से 133 सीटें जीतीं. अत्तीला मेसटर्हाजी के लेफ्ट अलायंस ने 38 सीटों पर जीत हासिल की जबकि जोब्बिक पार्टी को 23 सीटें मिलीं.
हालांकि, फीडेज पार्टी ने दो–तिहाई बहुमत हासिल किया और उसे सरकार बनाना है. बीस फीसदी वोट हासिल करने वाली विपक्षी जोब्बिक पार्टी ने यहूदी विरोधी, जातीय अल्पसंख्यकों से संबंधित चिंताओं को उठाया था.
1 जनवरी 2012 से प्रभाव में आए हंगरी के नए संविधान के बाद 2014 में हुआ यह आम चुनाव पहला चुनाव था. ऑर्बन हंगरी के प्रधानमंत्री पद पर सबसे पहले 1998 में और फिर 2010 में दूसरी बार चुने गए थे.
राष्ट्रहित की रक्षा और अपने सत्तावादी रूप की वजह से पहले से ही ईयू और विदेशी निवेशकों की आलोचना का सामना कर रहे ऑर्बन का लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुना जाना हंगरी और यूरोपीय संघ के बीच तनावपूर्ण संबंधों के लिए शुभ संकेत नहीं है.
हंगरी की चुनाव प्रक्रिया
हंगरी गणराज्य एक संसदीय लोकतंत्र है जहां हर चार वर्षों में चुनाव कराए जाते हैं. बहुमत और आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर हंगरी में मिश्रित चुनाव प्रणाली है. हंगेरियन यूनिकैमेरल पार्लियामेंट (नेशनल असेंबली) में कुल 386 सदस्य हैं, जिसमें से 176 निर्वाचित होकर आते हैं, हर एक सदस्य एकल सदस्य निर्वाचनक्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है.
ये निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं द्वारा सीधे चुने जाते हैं जबकि 210 सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर पार्टी लिस्ट और नेशनल लिस्ट से चुने जाते हैं. इसका अर्थ है कि प्रत्येक मतदाता चुनाव के दिन दो वोट डालता है– एक उम्मीदवार के लिए और एक पार्टी के लिए.
हंगरी के राष्ट्रपति का चुनाव गुप्त मतदान में दो तिहाई मतों द्वारा या दो असफल वोटों के बाद सांसदों की आम सहमति से पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए होता है. प्रधानमंत्री का चुनाव सांसदों के आम सहमति से चार वर्षों के लिए होता है. वास्तविक सत्ता और शक्ति प्रधानमंत्री के हाथों में ही होती है.
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