विश्व बैंक ने बिहार में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को अधिक योग्य, जवाबदेह एवं जिम्मेदार बनाने तथा उनकी कार्यकुशलता बढ़ाने में सहायक कार्यक्रमों के लिए अगले पांच वर्षो में राज्य सरकार को 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 15.90 अरब रुपये) का ऋण देने का निर्णय लिया है. यह जानकारी 21 मई 2015 को दी गई.
विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम बिहार सरकार के स्कूली शिक्षा सुधार कार्यक्रम (मानव विकास कार्यक्रम, Manav Vikas Programme) का हिस्सा होगा. इस कार्यक्रम के तहत विशेषकर प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में बड़े स्तर पर सुधार किये जा रहे हैं.
विश्व बैंक के अनुसार बिहार में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार में सबसे बड़ी बाधा में से एक है. इन शिक्षकों की संख्या वर्ष 2020 तक 6 लाख के पार पहुंचने की संभावना है. हालांकि, विश्व बैंक के अनुसार बिहार की क्षमता प्रतिवर्ष 5000 से भी कम शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की है जबकि उसे प्रति वर्ष इससे दस गुणा अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है. बिहार में अध्यापकों की संख्या हाल में बढ़ने से अनुकूल माहौल में शिक्षकों को प्रशिक्षित करना और बड़ी चुनौती बन गया है.
लाभ
विश्व बैंक के अनुसार यह कार्यक्रम शिक्षकों के प्रशिक्षण, प्रदर्शन और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें वह कौशल और ज्ञान मुहैया करायेगा जिसकी उन्हें कक्षा में अधिक प्रभावी बनने के लिए आवश्यकता है. इस कार्यक्रम से बिहार के सरकारी प्राथमिक स्कूलों में करीब चार लाख 50 हजार अध्यापकों को लाभ पहुंचेगा.
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