इलाहबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीरेन्द्र सिंह को 16 दिसम्बर 2015 को उत्तर प्रदेश के नए लोकायुक्त के रूप में नियुक्त किया गया.
ज्ञात हो यह देश में पहली बार हुआ है जब उच्चतम न्यायलय ने नियुक्ति का अधिकार अपने हाथ में लेते हुए किसी प्रशासनिक पद पर नियुक्ति की.
इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय ने 14 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को दो दिन का समय देते हुए लोकायुक्त की नियुक्ति करने का आदेश दिया था.
उच्चतम न्यायालय ने आदेश के बावजूद उत्तरप्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं किए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी. न्यायालय ने अखिलेश सरकार से उन पांच अंतिम नामों की सूची मांगी थी जिन्हें प्रदेश का लोकायुक्त बनाया जा सकता है.
विदित हो संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत उच्चबतम न्यातयालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश को शामिल किया गया है.
(1) उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री पारित कर सकेगा या ऐसा आदेश कर सकेगा, जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो.
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