वैज्ञानिकों ने बनाया ब्रह्मांड का अभी तक का सबसे ठंडा घन मीटर

Nov 1, 2014, 11:14 IST

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अक्टूबर 2014 में यह घोषणा की कि उन्होंने ब्रह्मांड के सबसे ठंडे घन मीटर बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है.

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अक्टूबर 2014 में यह घोषणा की कि उन्होंने ब्रह्मांड के सबसे ठंडे घन मीटर बनाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है.

विदित हो कि उन्हें यह उपलब्धि तब हासिल हुई जब वे क्रायोस्टेट (एक उपकरण जिससे बहुत कम तापमान को बनाए रखा जाता है) की मदद से दुर्लभ घटनाओं के प्रयोग के लिए शीतित भूमिगत वेधशाला (सीयूओआरई, Cryogenic Underground Observatory for Rare Events experiment, CUORE) में एक 880 पाउंड ब्लाक को 6 मिलीकेल्विन तापमान पर ठंडा करने का कार्य कर रहे थे.

येल के आर्थर डब्ल्यू राइट प्रयोगशाला, जोकि शीतित अनुसंधान आयोजित करती है, के निदेशक डॉ कस्र्टन हेगर को ‘दुर्लभ घटनाओं के प्रयोग के लिए शीतित भूमिगत वेधषाला’ मे सहयोग के लिए सम्मिलित किया गया है. इसके अतिरिक्त इस अनुसंधान में सहयोग देने के लिए इटली के ग्रान सेस्सो प्रयोगशाला (Gran Sasso National Laboratory) से अमेरिका, इटली, चीन, स्पेन, फ्रांस और अन्य देशों के 130 वैज्ञानिक जुड़े हैं.

अनुसंधान के बारे में

एक इतालवी प्रयोगशाला में एक घन मीटर तांबे को परम शून्य ताप के अल्प विचलन पर ठण्डा किया जाता है. यह ठंडा तांबा द्रव्यमान ही ब्रह्मांड में 15 दिनों से अधिक सबसे ठंडा घन मीटर था.

यह अभी तक का पहला प्रयोग है जिसमें इस माप के द्रव्यमान और आयतन को इस तापमान जो कि परम शून्य (0 केल्विन) के निकट है ठण्डा किया गया है.

कुल 400 किलोग्राम भारीय तांबे के क्यूबिक मीटर (35 घन फीट) के तापमान को 6 मिलीकेल्विन या ऋणात्मक 273.144 सेल्सियस (ऋणात्मक 459.66 फारेनहाइट) से लाया गया था.

पृष्ठभूमि

यह मानक स्थापित करता ठंडा तापमान अन्य प्रयोग के लिए उदारहण होगा उपपरमाणवीय कण जिसे न्यूट्रान के नाम से जाना जाता है,  कणों के व्यवहार की व्याख्या में जोकि मदद कर सकता है और यह ब्रह्मांड में पदार्थ की संरचना के बारे में लम्बे समय निरुत्तरित सवालों का जवाब भी हो सकता है. इस प्रक्रिया को एक चैम्बर रूपी डिवाइस जिसे क्रायोस्टेट के नाम से जाना जाता है की सहायता से प्राप्त किया गया.

वैज्ञानिको द्वारा वर्णित किया गया कि यह प्रयोग जोकि एक दुर्लभ प्रक्रिया दिखाई देता है को ‘न्यूट्रिनोलेस डबल बीटा डिके’ कहा जाता है. इस प्रक्रिया का पता लगाने के साथ ही इसे प्रथम बार शोधकर्ताओं को प्रदर्षन करने के लिए देना होगा जिससे यह ज्ञात हो सके कि न्यूट्रीनो और एंटीन्यूट्रीनो एकरूपीय हैं.

इस अनुसंधान से ब्रह्मांड में  विरोधी विषयों के बजाय प्रचुर विषयक संभावित व्याख्या की पेशकश होगी. अब जबकि क्रायोस्टेट आधार तापमान तक पहुँच गया है, कमीशन और अंशांकन प्रणाली के क्रायोजेनिक परीक्षण अगले कुछ माह में होंगे.

सीयूओआरई के बारे में

सीयूओआरई इटली के ग्रान सेस्सो पहाड़, जोकि एपेननाइन्स रोम से लगभग 120 किलोमीटर दूर है, की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित हैं. दुर्लभ घटनाओं के लिए क्रायोजेनिक भूमिगत वेधशाला (सीयूओआरई) इटली में लेबोरेटरी नाजीओनाली साय ग्रान सेस्सो पर स्थित एक कणिक भौतिकी अनुसंधान केंद्र है.

जब सीयूओआरई प्रयोग पूरी तरह क्रियाशील हो जायेगा तो यह न्यूट्रीनों के महत्वपूर्ण गुणों, उपपरमाणवीय मौलिक कणों, जोकि रेडियोधर्मी क्षय द्वारा बनाई गई हैं और एक विद्युत आवेश को ढ़ोने में असमर्थ हैं, का अध्ययन करेंगे.

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