शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ, Shanghai Cooperation Organization SCO) शिखर बैठक 13 सितंबर 2013 को किर्गीजस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित हुई. इस बैठक में भाग लेने के लिए विदेश मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद ने 12 से 13 सितंबर 2013 तक किर्गीजस्तान के दो दिन के दौरे पर रहे.
एससीओ शिखर बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने भारत को शंघाई सहयोग संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा देने की मांग की और कहा कि इससे सुरक्षा से जुड़े मसलों, विशेषतौर पर आतंकवाद-निरोधी प्रणाली को लेकर सभी सदस्य देशों में सहयोग में वृद्धि होगी.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ, Shanghai Cooperation Organization SCO)
शंघाई सहयोग संगठन छह देशों का एक बहुपक्षीय निकाय है जो यूरेशियाई क्षेत्र में सुरक्षा एवं आर्थिक सहयोग पर ध्याईन केंद्रित करता है। शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ववर्ती ‘शंघाई पांच’ था जिसे चीन द्वारा 1996 में अपने चार पड़ोसियों के साथ सीमा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को निपटाने के लिए गठित किया गया था।
वर्तमान स्वरूप
वर्तमान स्वेरूप में शंघाई सहयोग संगठन की स्थाापना 2001 में शंघाई में शिखर बैठक के दौरान रूस, चीन जनवादी गणराज्य , कजाकिस्तांन, किर्गीज गणराज्ये, ताजिकिस्ता न और उज्बेेकिस्ताणन के राष्ट्रापतियों द्वारा गई। 2005 में अस्टा ना शिखर बैठक में भारत, ईरान एवं पाकिस्तांन को प्रेक्षक के रूप में शामिल किया गया। आगे चलकर मंगोलिया को भी प्रेक्षक के रूप में शामिल किया गया जबकि श्रीलंका और बेलारूस को ‘वार्ता भागीदार’ बनाया गया। तुर्कमेनिस्ताेन शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठकों में विशेष आमंत्रिती के रूप में भाग लेता रहा है। 2012 में बीजिंग शिखर बैठक के दौरान अफगानिस्तारन को प्रेक्षक बनाया गया, जबकि तुर्की को वार्ता भागीदार के रूप में शामिल किया गया।
शंघाई सहयोग संगठन की राष्ट्रा ध्ययक्ष परिषद (एचओएस) शंघाई सहयोग संगठन की निर्णय लेने वाली सर्वोच्चई संस्था है तथा क्रमिक आधार पर हर साल इसकी बैठक होती है (पिछली बैठक बीजिंग में जून, 2012 में हुई थी)। अगले स्तिर पर, शंघाई सहयोग संगठन की शासनाध्यहक्ष परिषद (एच ओ जी) की भी हर साल बैठक होती है (पिछली बैठक बिश्के क में दिसंबर, 2012 में हुई थी)। किर्गीज गणराज्यर इसका वर्तमान अध्यठक्ष है तथा 13 सितंबर, 2013 को शंघाई सहयोग संगठन की एच ओ एस शिखर बैठक का आयोजन करेगा।
शंघाई सहयोग संगठन और भारत
भारत ने विदेश मंत्री (ईएएम) के स्तर पर 2005 में शंघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में भाग लिया तथा 2009 में आयोजित येकातेरिनबर्ग (रूस) शिखर बैठक को छोड़कर सभी परिवर्ती शिखर बैठकों में मंत्री स्तर पर या निचले स्त रों पर भाग लेता रहा है। 2009 की येकातेरिनबर्ग (रूस) शिखर बैठक में माननीय प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह ने भाग लिया था।
2005 से भारत प्रेक्षकों के लिए खुले शंघाई सहयोग संगठन के सभी मंचों में भी सक्रियता से भाग लेता आ रहा है। इसके अंतर्गत शंघाई सहयोग संगठन के व्या पार, परिवहन, संस्कृ ति, आंतरिक/गृह तथा आपातकालीन स्थिति मंत्रियों की बैठकें; शंघाई सहयोग संगठन के व्यवसाय मंच; शंघाई सहयोग संगठन के ‘ऊर्जा क्लंब’ आदि शामिल हैं। भारत विशेष रूप से शंघाई सहयोग संगठन की ताशकंद में स्थित क्षेत्रीय काउंटर एंटी टेरीरिज्मृ स्ट्र्क्चमर (आरसीटीएस/आरएटीएस) के क्षेत्र में सहयोग करता रहा है।
भारत के लिए रूचि के कुछ विशिष्टा क्षेत्र, जिन पर शंघाई सहयोग संगठन की छत्रछाया के तहत चर्चा होती रही है, इस प्रकार हैं:
• अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति का विकास करना
• मध्यन एशियाई क्षेत्र में क्षमता निर्माण
• यूरेशियाई क्षेत्र के साथ संयोजकता
• आतंकवाद की खिलाफत और एंटी नारकोटिक्स
• ऊर्जा सहयोग
• आर्थिक एवं निवेश संबंधों में वृद्धि करना
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