अलग तेलंगाना राज्य की मांग पर विचार के लिए गठित की गई श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ 6 जनवरी 2010 को बैठक की. बैठक के बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया. श्रीकृष्ण समिति ने दो खंड की रिपोर्ट में एकीकृत आंध्र प्रदेश को सबसे बेहतर विकल्प बताया है. हालांकि रिपोर्ट में यह कहा गया कि राज्य के तीनों क्षेत्र तेलंगाना, रायलसीमा और तटीय आंध्र प्रदेश अगर सहमत हों तो विभाजन किया जा सकता है. आंध्र प्रदेश से अलग तेलंगाना राज्य बनाने पर समिति ने बंटवारे के पांच स्वरूपों का विकल्प भी सुझाया है, साथ में अपनी राय भी दी है. श्रीकृष्ण समिति रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग तेलंगाना राज्य की मांग का कुछ औचित्य है और ये पूरी तरह से गलत नहीं है.
श्रीकृष्ण समिति द्वारा बताए गए कुल 6 विकल्प निम्नलिखित हैं:
1. आंध्र प्रदेश का बंटवारा न हो. तेलंगाना क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक विकास और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए वैधानिक तेलंगाना क्षेत्रीय परिषद का गठन किया जाए. परिषद को फंड और प्रशासन की जिम्मेदारी दी जाए. संवैधानिक रूप से परिषद के अधिकारों को स्थापित करने के लिए समिति ने संविधान के अनुच्छेद 371 के खंड 21 में संशोधन करने की भी सिफारिश की है. समिति इसे सबसे बेहतर विकल्प मानती है.
2. राज्य की वर्तमान सीमाओं के भीतर तेलंगाना और सीमांध्र नामक दो राज्य का गठन. तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद जबकि सीमांध्र के लिए नई राजधानी. श्रीकृष्ण समिति इसे दूसरा सबसे बेहतर विकल्प मानती है.
3. आंध्र प्रदेश का सीमांध्र और तेलंगाना दो राज्यों में बंटवारा. दोनों राज्यों की अलग-अलग राजधानी. हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा. हालांकि समिति ने तेलंगाना क्षेत्र की नापसंदी के कारण इसे व्यावहारिक विकल्प नहीं माना है.
4. वर्तमान राज्य को दो हिस्सों में बांटा जाए – रायल-तेलंगाना और तटीय आंध्र प्रदेश. हैदराबाद को रायल-तेलंगाना का हिस्सा माना जाए. श्रीकृष्ण समिति इस विकल्प को क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए उपयुक्त मानती है, लेकिन तीनों क्षेत्र की जनता की रजामंदी पर शक.
5. आंध्र प्रदेश का बंटवारा कर सीमांध्र और तेलंगाना दो राज्य का गठन. हैदराबाद के वृहतर स्वरूप (दक्षिण-पूर्व में तटीय आंध्र के गुंटूर से जुड़कर, दक्षिण में महबूबनगर से होकर रायलसीमा में कुर्नूल तक) को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा. समिति ने इस विकल्प पर राजनीतिक आम सहमति बनने पर शंका जताई.
6. राज्य में यथा स्थिति बरक़रार रखना. श्रीकृष्ण समिति इस विकल्प का सबसे कम समर्थन करती है.
श्रीकृष्ण समिति ने अपनी रिपोर्ट में आशंका जताई कि अलग तेलंगाना राज्य के गठन से राज्य में नक्सली समस्या बढ़ेगी. पांच सदस्यों वाली श्रीकृष्ण समिति का गठन फरवरी 2010 में किया गया था. समिति ने अपनी रिपोर्ट 30 दिसंबर 2010 को केंद्र सरकार को सौंपी.
केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने रिपोर्ट पर विभिन्न राजनीतिक दलों से बैठक के बाद कहा कि केंद्र सरकार उचित, सम्मानजनक और व्यावहारिक हल खोजने का प्रयास करेगी. हालांकि अलग तेलंगाना राज्य की मांग कर रहे टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) प्रमुख चंद्रशेखर राव ने कहा कि अलग तेलंगाना राज्य और हैदराबाद को राजधानी बनाने के अलावा किसी और विकल्प को नहीं माना जाएगा. तेलंगाना राष्ट्र समिति, तेलगूदेशम पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने बैठक में भाग नहीं लिया.
छोटे राज्य की मांग सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक विकास के लिए हो तो अच्छा है. राजनीतिक और व्यक्तिगत हित साधने में अगर छोटे राज्य बन भी गए, तो उनका विकास हो जाएगा, यह जरूरी नहीं. बल्कि इससे देश के अन्य भागों में राजनीतिक हित साधने हेतु पृथक राज्य की मांग को बल मिलेगा.
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