श्रीलंका की संसद ने 18 जून 2014 को संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन (यूएनएचआरसी) की जांच के प्रस्ताव के खिलाफ वोट डाला.
इसमें देश में यूएनएचआरसी टीम को एलटीटीई के खिलाफ गृहयुद्ध के अंतिम चरण के दौरान कथित मानवाधिकार हनन की जांच की अनुमति नहीं देने का प्रस्ताव पारित किया गया था.
225 सदस्यों वाली श्रीलंका की सरकार में इस प्रस्ताव के पक्ष में 144 वोट पड़े जबकि 10 ने इसके खिलाफ वोटिंग की. 37 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया. प्रस्ताव में यह कहा गया है कि जांच सुलह और शांति प्रक्रिया के लिए इस तरह की कार्रवाई हानिकारक है, यह कहकर नहीं की जा सकती क्योंकि इससे श्रीलंका की संप्रभुता, गरिमा और कद को ठेस पहुंचेगी.
पृष्ठभूमि
इससे पहले यूएनएचआरसी ने 27 मार्च 2014 को चेंज्ड ड्राफ्ट रिजॉल्यूशन पारित किया था जिसमें वर्ष 2009 में श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ श्रीलंकाई गृह युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की स्थापना के लिए यूएनएचआरसी को अधिकृत करने की मांग की गई थी. श्रीलंका की सरकार ने यूएनएचआरसी द्वारा अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को 25 फरवरी 2014 को ठुकरा दिया था.
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