श्रीलंका के विदेश मंत्री प्रोफेसर जीएल पेइरिस की भारत की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा 17 मई 2011 को संपन्न हो गई. अपनी यात्रा के दौरान श्रीलंका के विदेश मंत्री ने भारत के प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह, वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी, विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिव शंकर मेनन से मुलाकात की. भारत की विदेश सचिव निरुपमा राव ने यात्रा पर आए गणमान्य अतिथि से मुलाकात की.
यात्रा के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता का आयोजन 16 मई 2011 को किया गया. वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग के सभी मुद्दों की समीक्षा की. उन्होंने जून 2010 में श्रीलंका के राष्ट्रंपति की भारत यात्रा और नवंबर 2010 में कोलंबो में विदेश मंत्री के स्तर पर आयोजित द्विपक्षीय संयुक्त आयोग की बैठक के बाद से हुए घटनाक्रमों का जायजा लिया. साझे हित के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा भी की. उपर्युक्त मुद्दों पर चर्चा करने अलावां दोनों पक्षों ने निम्नलिखित मुद्दों पर सहमति व्यक्त की.
1. भारत की सहायता से श्रीलंका में चलाई जा रही विभिन्न रेलवे परियोजनाओं के कार्यों में हो रही प्रगति पर संतोष व्ययक्त करते हुए दोनों पक्षों ने इन परियोजनाओं को समय से पूरा किए जाने के लिए विभिन्न कार्यों को सुविधाजनक बनाने पर अपनी सहमति व्याक्त की.
2. 9 जून 2010 की संयुक्त घोषणा में सन्नहित सहमति के अनुसरण में दोनों पक्ष सामपुर, त्रिंकोमाली में एनटीपीसी और सीईबी के बीच संयुक्त उपक्रम ताप विद्युत परियोजना से संबद्ध करार, पलाली-केकेएस रेलवे लाइन के निर्माण, नई सिग्नल एवं संचार प्रणाली की स्थापपना तथा भारत से मालवाहक डिब्बों की खरीद संबंधी कार्यों को शीघ्रातिशीघ्र संपन्न् करने तथा व्यापक आर्थिक भागीदारी करार (Comprehensive Economic Partnership Agreement, CEPA, सीईपीए) को शीघ्रातिशीघ्र अंतिम रूप देने हेतु वार्ता जारी रखने पर सहमत हुए.
3. भारत और श्रीलंका के विद्युत ग्रिडों के अंतर्संयोजन के संबंध में किए जा रहे व्यवहार्यता अध्ययन में हुई प्रगति की समीक्षा की गई. इस बात पर भी सहमति हुई कि ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग में वृद्धि की जाए तथा द्विपक्षीय संबंधों के लिए प्रासंगिक सुरक्षा और प्रतिरक्षा क्षेत्र के मुद्दों पर संवाद को बढ़ावा दिया जाए.
4. 28-29 मार्च 2011 को नई दिल्ली में मात्स्यिकी से संबद्ध संयुक्त कार्यकारी दल की बैठक के परिणामों की समीक्षा करते हुए दोनों पक्षों ने इस बात पर अपनी सहमति व्यक्त की कि किसी भी परिस्थिसति में बल प्रयोग को औचित्यपूर्ण न ठहराया जाए, और सभी मछुआरों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए.
5. भारतीय पक्ष ने सूचित किया कि श्रीलंकाई जलक्षेत्र के आसपास भारतीय मछुआरों के विरुद्ध हिंसा की जारी घटनाएं अत्यंत गंभीर हैं. इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि 26 अक्तूबर 2008 को मात्स्यिकी की व्यवस्थाओं पर संपन्न संयुक्त 6 वक्तव्य जारी किए जाने के बाद से इस प्रकार की हिंसक घटनाओं में कमी आई.
6. दोनों पक्षों ने भारत और श्रीलंका के बीच मात्स्यिकी की क्षेत्र में विकास और सहयोग से संबद्ध समझौता ज्ञापन के प्रारूप को शीघ्रातिशीघ्र अंतिम रूप दिए जाने के महत्व पर बल दिया.
7. दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक एवं लोगों से लोगों के बीच संपर्कों को बढ़ावा देने तथा तूतीकोरिन और कोलम्बो एवं रामेश्वंरम और तलाइमन्नागर के बीच शीघ्रातिशीघ्र फेरी सेवाएं आरंभ किए जाने सहित अन्य संपर्क सुविधाओं में सुधार लाने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की.
8. दोनों पक्षों ने श्रीलंका में बंदरगाहों के विकास तथा श्रीलंका में बंदरगाहों से जुड़ी सेवाओं सहित अन्य कार्यों में किए जाने वाले पारस्परिक निवेश को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति व्यक्त की.
9. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता पर दोनों देश ने सहमति जताई.
10. विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के भारत के जायज दावे के प्रति श्रीलंका ने अपने ठोस समर्थन को दोहराया.
11. भारत और श्रीलंका ने इस बात पर सहमति व्य्क्त की कि श्रीलंका में सशस्त्र संघर्ष की समाप्ति से सभी अनसुलझे मुद्दों का समाधान समझबूझ और पारस्परिक सामंजस्य के साथ करने का ऐतिहासिक अवसर प्राप्त हुआ है, और राजनैतिक दूरदर्शिता की यह जरुरत है कि सही मायने में राष्ट्रीय सुलह की दिशा में कार्य किए जाएं.
12. विदेश मंत्री प्रोफेसर जीएल पेइरिस ने श्रीलंका सरकार तथा तमिल पार्टियों के प्रतिनिधियों के बीच जारी वार्ता में त्वरित और ठोस प्रगति सुनिश्चिकत करने की श्रीलंका सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
13. श्रीलंका के विदेश मंत्री ने विस्थापितों के पुनर्वास और उस देश में सामंजस्य स्थापित करने से जुड़े मुद्दों का संकेंद्रित एवं प्रगतिशील तरीके से समाधान करने का प्रयास जारी रखने के संबंध में अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया.
14. श्रीलंका के विदेश मंत्री ने गिरफ्तारी, कानून और व्यवस्था, प्रशासन तथा भाषा से जुड़े मुद्दों तथा सामाजिक, आर्थिक तथा आजीविका से जुड़े मुद्दों के संबंध में प्राप्त सबक एवं सुलह आयोग (Lessons Learnt and Reconciliation Commission, LLRC, एलएलआरसी) की अंतरिम अनुशंसाओं को कार्यान्वित करने में महान्यायवादी की अध्यनक्षता वाली अंतर-एजेंसी परामर्शी समिति (Inter-Agency Advisory Committee, IAAC, आईएएसी) द्वारा किए गए उपायों की घोषणा की.
15. भारत के विदेश मंत्री ने आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की शीघ्रातिशीघ्र घर वापसी, आपातकालीन विनियमों की शीघ्रातिशीघ्र वापसी, मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच, प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति की बहाली तथा प्रभावित परिवारों की मानवीय चिन्ताओं का समाधान करने सहित सही मायने में पुनर्वास और सामंजस्य सुनिश्चित करने हेतु किए गए उपायों को शीघ्रातिशीघ्र कार्यान्वित किए जाने का आह्वान किया.
16. श्रीलंका के विदेश मंत्री ने मानवीय एवं अन्य सहायता प्रदान करने के लिए भारत को धन्योवाद दिया.
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