भारतीय नागरिक संजीव चतुर्वेदी और अंशु गुप्ता को रैमन मैग्सैसे अवॉर्ड-2015 देने की घोषणा 28 जुलाई 2015 को हुई. एशिया के प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे अवॉर्ड के लिए इन दो भारतीयों को चुना गया.
भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चीफ विजिलेंस अफसर रह चुके हैं वहीं अंशु गुप्ता एनजीओ ‘गूंज’ की संस्थापक हैं.
भ्रष्टाचार के मामलों के खुलासों के लिए हमेशा चर्चा में रहे आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को यह पुरस्कार सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए दिया गया है. संजीव चतुर्वेदी देश के दूसरे सर्विंग ब्यूरोक्रेट हैं, जिन्हें ये पुरस्कार दिया गया है. इससे पहले किरण बेदी को भी सेवा में रहते यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला था.
विदित हो कि वर्ष 2002 बैच के भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी एम्स में कई भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं और वर्ष 2014 में जब उन्हें एम्स के सीवीओ पद से हटाया गया तो बड़ा विवाद हुआ था. चतुर्वेदी मूलत: हरियाणा कैडर के अफसर हैं. वहां भी उन्होंने भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया था.
रैमन मैग्सैसे अवॉर्ड से संबंधित मुख्य तथ्य:
रैमन मैगसेसे पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1957 में की गई थी. इसे एशिया के नोबेल पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है. यह पुरस्कार फिलीपींस के तीसरे राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की याद में प्रत्येक वर्ष प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार प्रतिवर्ष मनीला में उनके जन्म दिन 31 अगस्त को दिया जाता है. पुरस्कार के तौर में विजेताओं को 50000 डॉलर की राशि प्रदान की जाती है. यह पुरस्कार रैमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउन्डेशन ट्रस्टी बोर्ड द्वारा छः श्रेणियों में प्रदान किया जाता है. जिनमें शामिल है:-
• सरकारी सेवा (Government Service)
• जन सेवा (Public Service)
• सामुदायिक नेतृत्व (Community Leadership)
• पत्रकारिता, साहित्य, और सर्जनात्मक संचार कला (Journalism, Literature and Creative Communication Arts)
• शांति और अंतरराष्ट्रीय समझ (Peace and International Understanding)
• उभरता हुआ नेतृत्व (Emergent Leadership)
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