संयुक्त राष्ट्र द्वारा महिलाओं की वैश्विक स्थिति पर रिपोर्ट जारी

Oct 21, 2015, 17:45 IST

रिपोर्ट विश्व में महिलाओं एवं पुरुषों की स्थिति के आंकड़ों एवं सूचकांक को दर्शाता है. इसे आठ बिन्दुओं – परिवार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्य, शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, पर्यावरण एवं गरीबी को शामिल किया गया है

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा 20 अक्टूबर 2015 को महिलाओं की स्थिति पर वैश्विक रिपोर्ट जारी की गयी. इस रिपोर्ट का टाइटल है, ‘विश्व में महिलाएं-2015: रुझान और सांख्यिकी’.

यह रिपोर्ट विश्व में महिलाओं एवं पुरुषों की स्थिति के आंकड़ों एवं सूचकांक को दर्शाता है. इसे आठ बिन्दुओं – परिवार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्य, शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता, महिलाओं के विरुद्ध हिंसा, पर्यावरण एवं गरीबी को शामिल किया गया है.


जनसंख्या एवं परिवार

•    विश्व में लगभग 62 मिलियन महिलाएं एवं पुरुष हैं. छोटी आयु में पुरुष महिलाओं से अधिक हैं एवं वृधावस्था में महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं.
•    बाल विवाह में कमी आई है. लेकिन, दक्षिण एशिया में 20 से 24 प्रतिशत एवं सब-सहारा अफ्रीका में 40 प्रतिशत महिलाएं 18 वर्ष से कम आयु में विवाह के बंधन में बंध जाती हैं.
•    किशोरावस्था में बच्चे को जन्म देने की दर में भी गिरावट आई है लेकिन अफ्रीका, लैटिन अमेरिका एवं कैरिबियन देशों में अभी भी यह दर काफी अधिक है.

स्वास्थ्य

•    पिछले 20 वर्षों में दोनों ही लिंगों में अधिकतम आयु बढ़ी और मृत्यु दर में कमी आई है. इसमें वर्ष 2010 से 2015 के बीच पुरुषों की आयु 72 एवं महिलाओं की 68 दर्ज की गयी. आयु अधिक होने से लिंगानुपात भी बढ़ा है.
•    पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा ह्रदयघात का खतरा अधिक होता है. लेकिन पिछले कुछ समय से मृत्युदर में इसके विपरीत परिणाम देखे गये.

शिक्षा

•    विकास के बावजूद, विकासशील देशों में प्रत्येक 2 बच्चों बच्चों में एक बच्चा ही स्कूल जाता है जबकि विकसित देशों में यह आंकड़ा प्रत्येक 10 में से 9 बच्चों का है.
•    कुल 58 मिलियन बच्चे जिनमें 31 मिलियन लड़कियां हैं, स्कूल से वंचित हैं.
•    विश्व की कुल 781 मिलियन अशिक्षित जनसंख्या में से दो तिहाई ही महिलाएं हैं जो लगभग सभी विकासशील देशों में रहती हैं.


कार्य

•    वैश्विक स्तर पर पुरुषों का तीन चौथाई एवं महिलाओं का पचास प्रतिशत मेहनतकश कार्यों में भाग लेता है. लैंगिक असमानता कुछ ही क्षेत्रों में कम हो पाई है जबकि उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया एवं दक्षिणी एशिया में अभी भी इसमें काफी बड़ा अंतर विद्यमान है.
•    असहनीय कार्य, इसमें स्वयं रोज़गार एवं परिवार के लिए योगदान भी शामिल है. यह प्रणाली अफ्रीका एवं एशिया में अधिक देखने को मिलती है.
•    महिलाओं की आय पुरुषों की तुलना में कम है. फुल टाइम काम करने वाली महिलाओं की आय पुरुषों की आय का 70 से 90 प्रतिशत तक है.

निर्णय लेने का अधिकार

•    वर्ष 2015 में महिला राष्ट्र प्रमुखों की संख्या 19 पर पहुंची जबकि इससे पहले वर्ष 1995 में यह संख्या 12 थी.
•    चुनावों में महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत या उससे कम है.
•    विश्व भर में चार प्रतिशत से भी कम महिलाएं मुख्य कार्यकारी अधिकारी पद तक पहुंची हैं.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा

•    विश्वभर में महिलाओं पर शारीरिक, यौन, मानसिक एवं आर्थिक हिंसा की जाती है.
•    119 देशों ने महिलाओं को घरेलू अत्याचार से बचाने हेतु कानून पारित किया, 125 देशों में यौन हिंसा के खिलाफ कानून पारित किया गया जबकि 52 देशों में विवाहेतर बलात्कार के खिलाफ कानून पारित किया गया.

पर्यावरण

•    विकासशील देशों में आधी आबादी के पास साफ़ पीने का पानी नहीं है एवं परिवार के लिए पानी की व्यवस्था करने का दायित्व महिलाओं को दिया जाता है.
•    डायरिया के कारण मरने वाले लोगों में से अधिकतर पानी की कमी, सफाई का आभाव एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण जान से हाथ धो बैठते हैं. वर्ष 2012 में यह संख्या 0.8 मिलियन थी.

गरीबी

•    विकासशील देशों में प्रत्येक 3 में से 1 महिला को घरेलू खरीदारी में बोलने का अधिकार नहीं है. जबकि प्रत्येक 10 में से 1 महिला को परिवार के लिए खर्च करने के दौरान पूछा भी नहीं जाता.
•    47 प्रतिशत महिलाओं के निजी एवं संयुक्त खाते हैं जबकि पुरुषों का आंकड़ा 55 प्रतिशत है.

रिपोर्ट
यह रिपोर्ट बीजिंग घोषणापत्र और प्लेटफार्म के अनुसार बनाये गये आठ नीति क्षेत्रों के आधार पर तैयार की गयी. इसे महिलाओं पर संयुक्त राष्ट्र के चौथे विश्व सम्मेलन में वर्ष 1995 में स्वीकार किया गया.
बीजिंग घोषणापत्र महिलाओं के मौलिक अधिकारों एवं मानव अधिकारों का संरक्षण करने का उद्देश्य व्यक्त करता है.

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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