सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाडि़या की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह व्यवस्था दी कि विदेशी मुद्दों पर संसद को कानून बनाने का अधिकार नहीं है. संविधान पीठ ने निर्णय में बताया कि संसद ऐसे किसी भी विदेशी मुद्दे को लेकर कानून नहीं बना सकती, जिसका कोई राष्ट्रीय हित न हो. एक निजी कंपनी द्वारा आयकर कानून के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह व्यवस्था दी.
ज्ञातव्य हो कि आयकर कानून के उस प्रावधान को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसके तहत कंपनी किसी विदेशी कंपनी को अपने भुगतान का हिस्सा रोक सकती है. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में केंद्र सरकार के आयकर कानून के विवादित प्रावधान की वैधता को कायम रखा था. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाडि़या की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने निर्णय में यह बताया कि असीम विधाई संप्रभुता के बावजूद संसद को देश हित से सरोकार रखने वाले मुद्दों पर ही कानून बनाने का अधिकार है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि संसद को देश की सीमा से बाहर के ऐसे मामलों में कानून बनाने का अधिकार जरूर है, जिनका असर भारत पर पड़ सकता है या फिर भारत से संबंध रखता हो.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त व्यवस्था देने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएच कपाडि़या के अलावा न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन, न्यायमूर्ति एसएस निज्जर और न्यायमूर्ति स्वतंद्र कुमार थे.
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