केंद्र सरकार ने देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई, Foreign Direct Investment, FDI) को बढ़ाने के लिए 16 जुलाई 2013 को कई महत्वपूर्ण कदम उठाये. इनमे दूरसंचार क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से 49 फीसदी तथा एफआईपीबी से अनुमति लेकर 100 फीसदी तक एफडीआई की अनुमति प्रमुख है.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल के सदस्यों के साथ नई दिल्ली में हुई बैठक में प्रत्यक्ष विदेश निवेश से जुड़े प्रस्तावों पर विचार किया गया.
सरकार ने प्रत्यक्ष विदेश निवेश के जिन प्रमुख प्रस्तावों पर फैसले लिये, वे निम्न हैं –
| क्षेत्र | सीमा | एफडीआई मार्ग |
| पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस और शोधन | 49% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| कमोडिटी एक्सचेंज | 49% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| पॉवर एक्सचेंज | 49% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी, निगम | 49% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनिया | अधिकतम 49% 49% से 100% | स्वत: मंजूरी मार्ग एफआईपीबी |
| क्रेडिट की सूचना देने वाली कंपनियां | 74% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| एकल ब्रांड खुदरा कारोबार | अधिकतम 49% 49% से 100% | स्वत: मंजूरी मार्ग एफआईपीबी |
| आधारभूत एवं दूरसंचार सेवाएं | अधिकतम 49% 49% से 100% | स्वत: मंजूरी मार्ग एफआईपीबी |
| कोरियर सेवाएं | 100% | स्वत: मंजूरी मार्ग |
| रक्षा उत्पादन |
| 26% से अधिक के मंत्रिमंडलीय समिति आवेदन विशेष के आधार पर उन प्रस्तावों पर अनुमति दे सकती है जिनसे देश में आधुनिक एवं उत्कृष्ट तकनीक को बढ़ावा देती हैं |
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में स्वत: मंजूरी मार्ग (Automatic Route of Foreign Direct Investment)
भारत स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उन क्षेत्रों के लिए खोल दिया गया है जिनमें 100 फीसदी विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान की जा चुकी है. स्वत: मंजूरी मार्ग से किसी भी विदेशी कंपनी को भारत में इकाई स्थापित करने के लिए सरकार या भारतीय रिजर्व बैंक से किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं लेनी होगी. निवेशकों को सिर्फ अपनी इकाई के कार्य क्षेत्र के आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रेषित धन का ब्यौरा 30 दिन के भीतर प्रस्तुत करना होगा.
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (Foreign Investment Promotion Board, FIPB)
केंद्रीय वित्त मंत्रालय का विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े उन प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए एकल पटल निकाय का काम करता है जिन पर सीधे तौर पर एफडीआई की स्वीकृति नहीं होती. एफआईपीबी में विभिन्न मंत्रालय के सचिवों के साथ-साथ आर्थिक मामलों के विभाग एवं वित्त मंत्रालय के सचिव अध्यक्ष के रूप में होते हैं. यह अंतरमंत्रालीय निकाय देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा, उच्चतम सीमा, कारकों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति के तहत करता है. वित्त मंत्रालय एफआईपीबी के अधिकतम 1200 करोड़ रुपये तक के प्रस्तावों पर की गई सिफारिशों को मंजूरी प्रदान करता है. ऐसे प्रस्तावों जिनका मूल्य 1200 करोड़ रुपये से अधिक होता है उनके लिए आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) की स्वीकृति लेनी होती है.
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