भारत सरकार ने गर्भवती महिलाओँ एवं बच्चों को दिए जाने वाले पूरक पोषक तत्वों को प्रदूषण से बचाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता संबंधी दिशा निर्देश 31 दिसंबर 2013 को जारी किए. यह दिशा निर्देश महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल विकास सेवा योजना (आईसीडीएस) के तहत जारी किए गए.
आईसीडीएस के खाद्य सुरक्षा एवं स्वच्छता के परिचालन हेतु जारी दिशानिर्देश के मुख्य तथ्य
• आंगनबाड़ी कर्मियों एवं सहायकों का नेलपॉलिश और कृत्रिम नाखून लगाने पर रोक
• आंगनबाड़ी कर्मियों और सहायकों को अपने नाखून काट कर रखना और हाथों को धोकर उन्हें हमेशा साफ रखना.
• खाना पकाने और परोसने के दौरान उनके घड़ी, अंगूठियां या चूड़ियों या किसी भी प्रकार के गहने को पहनने पर प्रतिबंध.
• कार्यकर्ताओं और सहायकों को अपने बालों को अच्छी तरह से बांध कर रखना चाहिए और वह ढंके होने चाहिए.
• किसी भी प्रकार के कांच को खाना पकाने के क्षेत्र में ले जाने पर प्रतिबन्ध.
• कर्माचरियों के लिए सफाई के दौरान पर्याप्त एहतियात बरतने की सलाह और कमरे, बर्तनों या किसी अन्य उपकरणों की सफाई के दौरान खाना को प्रदूषित होने से बचाने के लिए दी गई है.
• खाना पकाने से पहले किसी भी प्रकार के उपकरण को पानी से धोया जाना चाहिए.
• मल और कचरे को सुरक्षित निपटाने के लिए शौचालयों को हर समय साफ रखने का निर्देश
• एक्टिविटी रूम को हवादार और बड़ा होना चाहिए और उसे रोज सुबह साफ किया जाना चाहिए.
समेकित बात विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना
समेकित बाल विकास सेवा योजना 2 अक्टूबर 1975 को शुरू की गई थी. आईसीडीएस योजना बचपन के विकास के लिए दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे अनोखा कार्यक्रम है. आईसीडीएस भारत का अपने बच्चों के प्रति प्रतिबद्धता का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक है– एक तरफ भारत के पास प्री– स्कूल शिक्षा मुहैया कराने की चुनौती है तो दूसरी तरफ कुपोषण, रूग्णता, सीखने की क्षमता में कमी और मृत्यु दर के दुष्चक्र को तोड़ने की चुनौती भी.
समेकित बात विकास सेवा योजना का उद्देश्य
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) योजना निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ 1975 में शुरू किया गया था.
• 0–6 वर्ष के बीच के बच्चों में पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार.
• बच्चे के उचित, मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास की नींव रखना.
• मृत्यु दर, रूग्णता, कुपोषण और स्कूल छोड़ने की घटनाओं को कम करना.
• बाल विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी नीति का समन्वय और विभिन्न विभागों के बीच कार्यान्वयन, और
• उचित पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से बच्चे के सामान्य स्वास्थ्य और पोषण की जरूरतों के लिए मां की क्षमता को बढ़ाने हेतु.
सेवाएं
उपरोक्त उद्देश्यों को निम्नलिखित कार्यों के जरिए पूरा किया जा सकता है:–
• पूरक पोषण
• टीकाकरण
• स्वास्थ्य जांच
• रेफरल सेवाएं
• प्री–स्कूल अनौपचारिक शिक्षा
• पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा
सेवाओं की एक पैकेज उपलब्ध कराने के पीछे यह अवधारणा है कि विभिन्न सेवाओं को अगर एकीकृत रूप में विकसित किया जाए तो वह अधिक प्रभावी होंगी.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation