सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को गंगा सफाई रोडमैप के लिए दो सप्ताह का समय दिया

Aug 23, 2014, 15:23 IST

भारत के सर्वोच्च न्यायलय सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अगस्त 2014 को केंद्र सरकार को गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए रोडमैप तैयार करने को कहा.

भारत के सर्वोच्च न्यायलय सर्वोच्च न्यायालय ने 13 अगस्त 2014 को केंद्र सरकार को गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए रोडमैप तैयार करने को कहा. कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपना रोडमैप जमा करने को कहा है. इसकी मांग जस्टिस टी.एस.ठाकुर की सर्वोच्च न्यायालय पीठ ने की.

न्यायमूर्ती टी.एस ठाकुर की सर्वोच्च न्यायालय पीठ ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि आखिर क्यों गंगा नदीं को साफ करने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जा रहे और इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने की व्याख्या करने को भी कहा.

अपने निर्देश में पीठ ने कहा कि सफाई परियोजना चरणबद्ध तरीके से की जानी चाहिए क्योंकि इसे एक बार में ही नहीं पूरा किया जा सकता.

गंगा नदी की सफाई के मुद्दे की निगरानी सुप्रीम  कोर्ट करेगी और इस संबंध में कई आवेदन पहले ही किए जा चुके हैं.

गंगा के बारे में

गंगा भारत की एक सीमा पार की नदी है जो उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालय के इलाके से निकलती है. अपनी 2525 किलोमीटर की यात्रा में यह नहीं 29 प्रमुख शहरों, 23 छोटे शहरों और 48 शहरों एवं 4 राज्यों से होकर गुजरती है.

गंगा में प्रदूषण

साल 2013 में गंगा को इंडोनेशिया के सीटारम नदी के बाद दुनिया की दूसरी सबसे प्रदूषित नदी का रैंक दिया गया था. अंतरराष्ट्रीय जरनल नेचर की एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि इसमें प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मानवीय इस्तेमाल के लिए निर्धारित सीमा से करीब 3000 गुना अधिक थी. इससे पहले 2007 में गंगा विश्व की पांचवी सबसे अधिक प्रदूषित नदी थी. इसके प्रदूषण से मछलियों की 140 प्रजातियां, 90 उभयचर प्रजातियां और गंगा नदी की डॉल्फिनों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.

गंगा की सफाई के लिए सरकारी प्रयास

गंगा को साफ करने के क्रम में केंद्र सरकार ने 1985 में महत्वाकांक्षी गंगा एक्शन प्लान के पहले चरण की शुरुआत की थी जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. पहला चरण मार्च 2000 में पूरा हो गया था.

साल 1993 में कार्यक्रम के दूसरे चरण को मंजूरी दी गई थी. दूसरे चरण में गंगा के सहायक नदियां यमुना, गोमती, दामोदर और महानंदा को भी शामिल किया गया और फिलहाल इसका काम जारी है.

अप्रैल 2011 में , केंद्र सरकार ने विश्व बैंक की सहायता से राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) के तहत एक परियोजना को मंजूरी दी. मंजूर की गई परियोजना 7000 रुपय की अनुमानित लागत से अनुमोदित किया गया था. एनजीआरबीए का मुख्य उद्देश्य नदी के पानी की गुणवत्ता के संरक्षण और बहाली के लिए प्रदूषण नियंत्रण के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए कोष का निर्माण करना है.

10 जुलाई 2014 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने पहले केंद्रीय बजट 2014– 15 में 2037 करोड़ रुपयों की लागत से एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन नमानी गंगा परियोजना और गंगा के लिए एक एनआरआई कोष की स्थापना की घोषणा की.

विश्लेषण/ टिप्पणी

साल 1985 से सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद गंगा का प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. गंगा स्वच्छ तब तक नहीं होगी जबतक की सरकार नदी किनारे रहने वाले लोगों की विचारधारा में बदलाव करने में सफल नहीं होती है. इसके अलावा, खेती में रसायनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना होगा, नदी में कचरा डालने को अपराध घोषित करना होगा, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर उपग्रह से निगरानी और नदी पर और बांध बनाने की अनुमति नहीं देना होगा. कई पर्यारणविदों का मानना है कि चूंकि इसमें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश की जरूरत है इसलिए ऐसा कर पाना लगभग असंभव है.

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