सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत मिलने वाली मजदूरी दर को विभिन्न राज्यों के मौजूदा न्यूतम मजदूरी के बराबर करने का आदेश दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश 11 जुलाई 2014 को पारित किया.
यह फैसला जस्टिस एस जे मुखोपाध्याय और जस्टिस एस ए बोबडे की सर्वोच्च न्यायालय पीठ ने दिया. पीठ ने आदेश में कहा कि योजना के तहत दी जाने वाली मजदूरी राज्य सरकार द्वारा कृषि श्रमिकों के लिए तय की गई न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं होनी चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने कम भुगतान किए गए श्रमिकों को बकाया राशि का भुगतान करने को भी कहा है.
पीठ ने अपना यह निर्देश केंद्र सरकार के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय में हुई एक सुनवाई के दौरान दी जो 23 सितंबर 2011 को की गई थी. इसमें कहा गया है कि योजना के तहत न्यूनतम मजदूरी से कम नहीं दिया जाना चाहिए.
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से मजदूरी के कम भुगतान पर सवाल जवाब मांगा था. कोर्ट का कहना था कि चूंकि मनरेगा लाभार्थी विधान है इसलिए न्यूनतम मजदूरी और मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी में फर्क नहीं होना चाहिए.
मनरेगा के तहत दी जाने वाली मजदूरी अलग – अलग राज्यों में 118 रुपये से 181 रुपये के बीच है, जो कि छह राज्यों में अधिसूचित न्यूनतम दैनिक मजदूरी की सीमा से कम है. लेकिन 14 राज्यों में इस योजना के तहत दी जाने वाली मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से अधिक है.
न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948 के बारे में
भारत में, न्यूनतम मजदूर अधिनियम 1948 अनुसूचित रोजगारों के बारे में न्यूनतम मजदूरी के निर्धारण और प्रवर्तन प्रदान करता है.
अधिनियम अनुसूची में निर्दिष्ट रोजगारों के संबंध में उचित सरकार (केंद्र या राज्य दोनों) द्वारा न्यूनतम मजदूरी दरें तय करने और पांच वर्ष की अवधि में इसकी समीक्षा और संशोधन करने की बात भी करता है.
चूंकि संबंधित राज्य सरकारों को न्यूनतम मजदूरी स्वतंत्र रूप से तय करने का अधिकार है, पड़ोसी राज्यों की तुलना में मजदूरी दरों में भिन्नता आम है. इस समस्या को कम करने और अनुरुपता के लिए केंद्र सरकार ने पांच क्षेत्रीय समितियों का गठन किया है.
भारत की पांच क्षेत्रीय समितियां–
पूर्वी क्षेत्रः पश्चिम बंगाल, ओडीशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह.
उत्तर पूर्वी क्षेत्रः अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम.
दक्षिणी क्षेत्रः आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु पुड्डुचेरी और लक्षद्वीप.
उत्तरी क्षेत्रः पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़.
पश्चिमी क्षेत्रः महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, मध्यप्रदेश, दादर और नगर हवेली , दमन एवं दीव.
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