केंद्र सरकार ने सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियमों (गार) पर गठित विशेषज्ञ पार्थसारथी शोम समिति की प्रमुख सिफारिशों को कुछ बदलावों के साथ स्वीकार करते हुए गार का क्रियान्वयन 2 वर्ष (1 अप्रैल 2016) के लिए स्थगित कर दिया. सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियमों (गार) के प्रावधान 1 अप्रैल 2014 से अमल में आने थे, केंद्र सरकार ने इसे अब 1 अप्रैल 2016 से लागू करने का निर्णय किया.
सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियमों (गार) से संबंधित मुख्य तथ्य:
• सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियमों (गार) को लाने का उद्देश्य विदेशी निवेशकों को ऐसे रास्ते अपनाने से रोकना है जिनका मुख्य ध्येय केवल कर लाभ प्राप्त करना होता है.
• सामान्य कर परिवर्जन-रोधी नियमों (गार) को उन विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) पर लागू नहीं किया जाना है, जिनके द्वारा आयकर अधिनियम की धारा 90 और 90ए के तहत कोई लाभ नहीं लिया जाता है.
• एफआईआई में जो प्रवासी निवेशक होंगे उनपर भी गार लागू नहीं होना है.आयकर की धारा 90 और 90ए के तहत दोहरे कराधान से बचने का समझौता विभिन्न देशों के साथ किया जाता है. इसमें कंपनियों को दोहरे कराधान से बचने की व्यवस्था है.
• 30 अगस्त 2010 से पहले किए गए निवेश पर गार के प्रावधान लागू नहीं होने हैं.
विदित हो कि भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गार के बारे में निवेशकों की चिंताओं को सुनने समझने और जरुरी सिफारिशें देने हेतु कर विशेषज्ञ पार्थसारथी शोम की अध्यक्षता में जुलाई 2012 में एक समिति गठित की थी. समिति ने 31 अगस्त 2012 को मसौदा रिपोर्ट और 30 सितंबर 2012 को अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी.
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