साहित्यकार एवं कवि प्रो. नंद चतुर्वेदी उर्फ़ नंद बाबू का दिल का दौरा पड़ने से 25 दिसंबर 2014 को निधन हो गया. वह 91 वर्ष के थे. चतुर्वेदी के परिवार में चार पुत्र और दो पुत्रियां हैं.
दिसंबर 2o14 में प्रकाशित पुस्तक ‘यह हमारा समय’ का विमोचन करने की तैयारी में थे. एक पुस्तक जो अभी छपनी बाकी रह गई, वह है ‘जो कुछ बाकी रहा’. अपने तमाम इंटरव्यू पर आधारित इस किताब की तैयारी में व्यस्त थे.
वह राजस्थान के युवा लेखकों से जुड़ी जानकारी भी लिख रहे थे. शीर्षक है-‘युवा ऊर्जावान, लेकिन अभ्यास की जरूरत है’.
प्रो. नंद चतुर्वेदी से सम्बंधित तथ्य
• प्रो. नंद चतुर्वेदी को साहित्य जगत में 'नंद बाबू के नाम से जाना जाता था.
• प्रो. नंद चतुर्वेदी ने वर्ष 2013 में अपने काव्य संग्रह 'गा जिंदगी गा’ लिखा था.
• उन्होंने वर्ष 2003 में विश्व हिन्दी सम्मेलन लंदन में राजस्थान द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि मण्डल में सदस्य के रूप में हिस्सा लिया.
• उनकी शब्द संसार की प्रसिद्ध कविता 'यायावरी’ को राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार मीरा पुरस्कार मिला.
• इसके अलावा उन्हें के.के. बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा बिहारी पुरस्कार, लोकमंगल मुंबई पुरस्कार, अखिल भारतीय आकाशवाणी सम्मान (श्रेष्ठ वार्ताकार) से सम्मानित किया गया.
• प्रो. नंद चतुर्वेदी का जन्म 21 अप्रैल 1923 को रावजी का पीपत्या (पहले राजस्थान में अब मध्यप्रदेश में) हुआ था.
• उन्होंने हिन्दी में एम.ए. एवं बी.टी. की उच्च शिक्षा प्राप्त की.
• वह लंबे समय समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे.
• उन्होंने 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया.
• वह 1950 से 1955 तक विद्या भवन के बीएड कॉलेज में प्राध्यापक उसके बाद वर्ष 1956 से 1981 तक विद्या भवन में प्राध्यापक रहे.
• उन्होंने ब्रजभाषा के साथ हिंदी, मेवाड़ी में भी लिखी.
• उन्हें 12 वर्ष की उम्र में कविता पर पहला सम्मान मिला.
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