कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगुर भूमि पुनर्वास विकास अधिनियम, 2011 को संवैधानिक व वैध करार दिया. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने टाटा मोटर्स की सिंगुर भूमि पुनर्वास विकास अधिनियम, 2011 को असंवैधानिक बताने वाली याचिका खारिज कर दी.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्न मुखर्जी ने 28 सितंबर 2011 को अपने निर्णय में टाटा मोटर्स को दो माह के भीतर सिंगुर से सारा सामान हटा लेने का आदेश दिया. इसके साथ ही निर्णय में यह भी बताया गया कि पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बनाया गया कानून तथा इसके तहत उठाए गए कदम संवैधानिक है तथा सिंगुर भूमि पुनर्वास विकास अधिनियम, 2011 में इस प्रकार के अधिग्रहण के लिए पर्याप्त जनहित का ध्यान रखा गया.
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्न मुखर्जी ने अपने निर्णय पर 2 नवंबर 2011 तक बिना शर्त रोक लगा दी ताकि पीड़ित पक्ष सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकें. कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा हुगली जिले के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को टाटा से राज्य सरकार को सुगमता के साथ भूमि हस्तांतरण हेतु विशेष अधिकारी नियुक्त किया गया.
ज्ञातव्य हो कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद सिंगुर भूमि पुनर्वास विकास अधिनियम, 2011 पारित किया गया था और 21 जून 2011 को सिंगुर की पूरी जमीन राज्य सरकार द्वारा कब्जे में ले ली गई थी. टाटा मोटर्स ने 22 जून 2011 को कलकत्ता उच्च न्यायालय में नए कानून को चुनौती दी थी कि यह असंवैधानिक है क्योंकि 600 एकड़ भूमि उसे दी गई थी जिसका हस्तांतरण किया जाना गलत है.
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