सिंडीकेट बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एसके जैन को रिश्वत लेने के आरोप में 2 अगस्त 2014 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने 4 अगस्त 2014 को निलंबित कर दिया.
एसके जैन पर कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले में शामिल कुछ निजी कंपनियों को ऋण विस्तार देने के लिए 5 अन्य लोगों के साथ मिलकर 50 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है. सीबीआई अधिकारियों ने एसके जैन पर दो कंपनियों, भूषण स्टील और प्रकाश इंडस्ट्रीज, से पैसे लेने का आरोप लगाया.
जैन की गिरफ्तारी
इस मामले ने देश की वित्तीय क्षेत्र को परेशान करने में सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों की भूमिका को सबसे समाने लाया. सरकार, फलस्वरुप, सिंडीकेट बैंक के सीएमडी की गिरफ्तारी को छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के लिए मजबूर कर सकती है. इसके पीछे मकसद इन बैंकों के पास ऋण सीमा में बढ़ोत्तरी के लिए पर्याप्त जांच और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए है.
एसके जैन के बारे में
एसके जैन को सिंडीकेट बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के तौर पर जुलाई 2013 में नियुक्त किया गया था. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सभी सीएमडी में वह सबसे युवा थे. वे पांच वर्षों के लिए नियुक्त किए गए थे और वर्ष 2018 में वे सेवानिवृत्त होने वाले थे.
सिंडीकेट बैंक के बारे में
वर्ष 1925 में श्री उपेन्द्र अनंत पाई, वामन कुडवा और टीएमए पाई ने उडुपी में सिंडीकेट बैंक की स्थापना की थी. वर्ष 1969 में भारत सरकार ने तेरह प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों के साथ सिंडीकेट बैंक का राष्ट्रीयकरण किया था. यह 8000 रुपयों के साथ शुरु किया गया था.
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