आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 2 जुलाई 2014 को वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत प्याज और आलू को अनिवार्य वस्तु कानून के दायरे में शामिल किए जाने को मंजूरी दी. यह नियम एक साल के लिए प्रभावी रहेगा.
सीसीईए ने छह राज्यों, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल के इस तरह के एक उपाय के लिए केंद्र से अनुरोध के बाद यह फ़ैसला लिया.
इस समावेश के साथ, राज्य सरकारों को स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर प्याज और आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए अधिकृत किया गया. इसमें जमाखोरी के संचालन सीमा / लाइसेंस आवश्यधकता और अन्य शामिल हैं.
सीसीईए के इस निर्णय से मूल्य वृद्धि की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी और आम जनता विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए इन वस्तुओं की उपलब्धता में सुधार होगा.
सरकार ने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) बढ़ाकर 500 डालर टन कर दिया जो पहले 300 डालर प्रति टन था. इसका मकसद निर्यात को हतोत्साहित कर घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना है. आलू पर भी 450 डालर टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया .
सीसीईए ने राशन की दुकानों के जरिये उन राज्यों में गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) तथा गरीबी रेखा के उपर (एपीएल) रहने वाले परिवार को देने के लिये 50 लाख टन अतिरिक्त चावल जारी करने का निर्णय किया गया. जहां खाद्य सुरक्षा कानून लागू नहीं हुआ है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिये सामान्य आवंटन के अलावा यह चावल जुलाई से मार्च के दौरान जारी किया.
कार्यालयों के आधुनिकीकरण और मजबूत करने के लिए इस योजना को जारी रखने को मंजूरी दी गई. परियोजना की कुल लागत 309.6 करोड़ रुपये है.
सीसीईए द्वारा इस तरह के कदम उठाने के कारण
- मई 2014 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2013 के बाद से 6.01% की तेज गति से बढ़ गई. खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि से आलू, फल, अंडे और मछली की विशेष रूप से प्रभावित हुए.
- आने वाले महीनों में अपर्याप्त वर्षा के चलते खाद्य पदार्थों की कीमतों पर असर पड़ने की उम्मीद है. जून में वर्षा सामान्य से 42 प्रतिशत कम थी.
- प्याज और आलू के मूल्य निर्धारण में शामिल होने के साथ ही अन्य सब्जियों की कीमतों पर भी प्रभाव पड़ेगा.
आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के बारे में
आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 उपभोक्ताओं को आवश्यक वस्तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए और बेईमान व्यापारियों द्वारा शोषण से बचाने के लिए लागू किया गया था. यह अधिनियम उचित मूल्य पर समान वितरण कर आपूर्ति बढ़ाने के लिए कुछ अधिकार प्रदान करता है.
- नियमन और उत्पादन का नियंत्रण
- वितरण और वस्तुओं का मूल्य निर्धारण
फिलहाल, दाल, खाद्य तेल तथा तिलहन सितंबर 2014 तक भंडारण सीमा के दायरे में है. चावल और धान पर भंडारण सीमा इस साल नवंबर तक के लिए लागू है.
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