आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 9 जनवरी 2014 को मिल गेट मूल्य योजना (एमजीपीएस) का नाम बदलकर यार्न आपूर्ति योजना (वाईपीएस) करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
सीसीईए ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान इस योजना का नए नाम के साथ निरंतरता को भी मंजूरी दी और इस संबंध में आवश्यक संशोधनों के साथ 10 प्रतिशत सब्सिडी को भी अनुमति प्रदान की.
योजना में 12 वीं पंचवर्षीय योजना को 443 करोड़ रुपए के परिव्यय को आवंटित किया गया है. योजना के तहत 12 वीं योजना का लक्ष्य 4364 करोड़ रुपए लागत की 3506 लाख किलो यार्न लायक आपूर्ति का है.
इसके अलावा, योजना का लक्ष्य लाभार्थियों की पहचान कर उनको सेवाएं प्रदान करना है. कुल 23 लाख हथकरघा इकाइयों को लाभार्थियों के रूप में पहचान की गई है.
योजना के तहत विशेषाधिकार प्राप्त बुनकरों और और कमजोर वर्ग को रियायती यार्न प्रदान करता है जिससे वे हथकरघा और मिल क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें.
मिल गेट मूल्य योजना (MGPS) के बारे में
एमजीपीएस को कपड़ा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम द्वारा 1992 में शुरू किया गया था. योजना डिपो ने संचालन एजेंसियों को परिवहन शुल्क की क्षतिपूर्ति द्वारा मिल गेट मूल्य पर हथकरघा बुनकरों को धागा उपलब्ध कराने, प्राथमिक बुनकर सहकारी समितियों, सुप्रीम समाज और अन्य हथकरघा संगठनों के लिए है.

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