सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में कक्षा 1 से 12वीं तक नैतिक विज्ञान को पाठ्यक्रम का अनिवार्य विषय बनाए जाने पर किए गए अपील की सुनवाई करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से 2 फरवरी 2015 को प्रतिक्रिया मांगी. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति एके सीकरी की पीठ ने मंत्रालय और सीबीएसई के अधिवक्ता संतोष सिंह द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया.
अपनी याचिका में अधिवक्ता संतोष सिंह ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि देश हित में राष्ट्रीय चरित्र को पोषित करने हेतु नैतिक मूल्यों को शामिल किया जाए. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में उपयुक्त परिवर्तन करने की भी वकालत की थी.
याचिका में कहा गया था कि समाज में नैतिक मूल्यों में तेजी से गिरावट आई है और अब जीवन का एकमात्र उद्देश्य पैसा बनाना रह गया है.
इसमें यह भी कहा गया था कि समाज को मानवीय शिक्षा द्वारा मूल्य आधारित नैतिक शिक्षा प्रणाली और छात्रों को वैश्विक मूल्यों वाले वैश्विक नागरिक बनाने की जरूरत है.
स्कूलों के नए पाठ्यक्रम को पुर्नोत्थान की जरूरत है. इसमें आध्यात्मिक ज्ञान शामिल करने की भी जरूरत है ताकि छात्र अपने जीवन के दबाव के आगे हार न मान लें.
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