हाइड्रोकार्बन के मुद्दे पर बातचीत हेतु भारत-कुवैत संयुक्त कार्य समूह की चौथी बैठक 16 सितम्बर 2015 को नई दिल्ली में आयोजित की गयी.
यह बैठक संयुक्त रूप से आशुतोष जिंदल, संयुक्त सचिव (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग), पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा डॉ अहमद अल क़त्तन, कुवैती ऑयल सेक्टर के प्रतिनिधि की अध्यक्षता में की गयी.
बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने वर्ष 2014 में कुवैत में आयोजित तीसरी संयुक्त बैठक के दौरान हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के लिए किये गये फैसलों की प्रगति पर भी बातचीत की.
दोनों देशों ने तेल तथा गैस के क्षेत्र में भारत तथा विदेशों में मौजूद अवसरों पर संयुक्त रूप से कार्य करने पर भी बातचीत की.
भारत-कुवैत के तेल क्षेत्र में संबध
• कुवैत पिछले कई दशकों से भारत के लिए कच्चे तेल का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता रहा है.
• वर्ष 2014-15 के दौरान कुवैत सऊदी अरब, इराक और वेनेजुएला के बाद भारत के लिए चौथा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता रहा. इससे भारत की उर्जा आवश्यकताओं का लगभग 10 प्रतिशत भाग पूरा होता है.
• वर्ष 2014-15 के दौरान कुवैत से भारत का कुल आयात 13.38 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जिसमें तेल एवं लुब्रिकेंट्स (पीओएल) का व्यापार 12.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा.
• कुवैत ने अपनी विकास योजना (2015-2020) में 115 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों जैसे तेल, गैस (अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम) पेट्रोरसायन, गैस प्रसंस्करण, पाइप लाइन आदि शामिल हैं.
• पिछले कुछ दशकों से भारतीय कम्पनियां वैश्विक स्तर पर कार्य कर रही हैं. कुवैत विकास योजना के अंतर्गत ओवीएल (ओएनजीसी विदेश लिमिटेड) तथा अन्य उर्जा कंपनियों को बेहतर अवसर प्रस्तुत किये गये.
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