उत्तर मौर्य युगीन युग में शुंग एवं कण्व बहुत ही महत्वपूर्ण शासक माने जाते हैं|
शुंग वंश
अशोक जैसे महान शासक के बाद मौर्य वंश अपने विशाल साम्राज्य को एकीकृत करने मे असफल रहा| मौर्य वंश का अंतिम शासक बृहद्रथ एक कमजोर शासक था, उसके शासन के समय उसके सेना के प्रधान सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उसकी हत्या कर के शुंग वंश की स्थापना की तथा इस तरह मौर्य वंश का अंत हुआ|
शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने 185- 183 ई. पू. में की थी| इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी किंतु उत्तर शुंग वंश के शासकों ने इसे स्थांतरित कर के विदिशा कर दिया| शुंग वंश सातवाहन, पंड्या, चोल एवं शेयर के समकालीन थे. शुंग वंश के महत्वपूर्ण शासक पुष्यमित्र, अग्निमित्र. भागभद्र एवं देवभूति थे|
पुष्य मित्र शुंग ने लगभग 36 वर्ष तक शासन किया| उसके बाद उसका पुत्र अग्निमित्र शासक बना जो कालिदास की महान रचना मल्विकग्निमित्रम का नायक भी था. देवभूति शुंग वनष का अंतिम शासक था. इसकी हत्या उसके मंत्री वासुदेव कण्व द्वारा 73 ई. पू. में हुई, ओर इस प्रकार शुंग वंश की समाप्ति एवं कण्व वंश की स्थापना हुई|
कण्व वंश
यह जाति से मूलतः ब्राह्मण थे तथा कण्व ऋषि के वंशज माने जाते थे| वासुदेव के पश्चात भीमिदेव को प्राप्त हुई| इस वंश को बाद सत्ता सतवाहनों के हाथों मे आई| कांदव वंश के चार मुख्य शासक इस प्रकार थे: वासुदेव, भूमिमित्र, नारायण एवं सुशर्मा|
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