भारत विविधताओं का देश है और यहां पर अनेकों सभ्यताएं एवं अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं. इसके कारण पूरे भारत में विभिन्न देवताओं के मंदिर पाए जाते है, क्योंकि भारत में अलग-अलग धर्म के लोगों द्वारा अपने विशेष भगवानों की पूजा की जाती है. परन्तु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के कुछ सम्प्रदाय के लोगों द्वारा भगवान की ही नहीं बल्कि राक्षसों की भी पूजा की जाती है. रामायण एवं महाभारत जैसे बहुत से धर्मग्रंथों में देवी-देवताओं के साथ-साथ राक्षसों की पूजा का वर्णन मिलता है. इस लेख में उन 5 मंदिरों के बारे में जानेंगे जहां आज भी राक्षसों की पूजा की जाती हैं और लोगों में उनके प्रति आस्था भी है.
5 भारतीय मंदिर जहां राक्षसों की पूजा होती हैं
1. श्री दशानन मंदिर, कानपुर उत्तर प्रदेश
कानपुर के शिवला इलाके में 125 वर्षीय दशानन मंदिर राजा गुरू प्रसाद शुक्ल द्वारा 1890 में बनाया गया था. हर साल दशहरा पर भक्तों के लिए मंदिर के द्वार को खोला जाता है. मंदिर के निर्माण के पीछे का मकसद यह था कि रावण एक ज्ञानी विद्वान था और भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त. इसीलिए मंदिर का निर्माण इस जिले के शिवला इलाके में भगवान शिव मंदिर के परिसर में किया गया था.
दशहरा के दिन हर साल भक्तों द्वारा आरती की जाती है, मिटटी के दीपक जलाए जाते हैं और मंदिर में त्योहार मनाने के लिए धार्मिक अनुष्ठान भी होते हैं. तकरीबन हर साल 15,000 से अधिक भक्त मंदिर में पूजा करने की आस्था से आते हैं.
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2. शकुनि मंदिर, केरला
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ये हमसब जानते हैं कि जिसकी वजह से महाभारत में पांडवों का वनवास हुआ था वे शकुनि ही थे. चौसठ की चालों में शकुनि माहिर थे और इसी वजह से पांडव अपना सब कुछ हार गए थे. इसी कारण से महाभारत की शुरुआत हुई थी. इन नकारात्मक परवर्ती के कारण ही शकुनि राक्षस में गिने जाते है. शकुनि का मंदिर कोल्लम जिले में केरला में स्थित है और यह काफी प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में भक्त शकुनि की पूजा नारियल और रेशम के कपड़े से करते है और यहा पर तांत्रिक क्रियाए भी होती हैं.
3. पूतना का मंदिर, उत्तर प्रदेश
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उत्तर प्रदेश के गोकुल में पूतना का मंदिर हैं. जिसने कृष्ण को दूध पिलाकर मारने का प्रयास किया था. इस मंदिर परिसर में पूतना कि कृष्ण भगवान को दूध पिलाते हुई लेती हुई प्रतिमा है. इस मंदिर की मान्यता है की मारने के उद्देश्य से ही सही लेकिन पूतना ने मां के रूप में श्री कृष्ण भगवान को दूध पिलाया था.
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4. अहिरावण मंदिर, उत्तर प्रदेश
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अहिरावण रावण का भाई था. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के झासी शहर में पचकुइंया इलाके में स्थित है. यह लगभग 300 साल पुराना मंदिर है. इस मंदिर में हनुमान जी के साथ अहिरावण और उसका भाई महिरावण की भी पूजा की जाती है.
5. दुर्योधन मंदिर, केरला
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दुर्योधन को भी बुरे पत्रों में गिना जाता हैं क्योंकि महाभारत में पांडवों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रखने वाला यह ही था. दुर्योधन कौरवों का सबसे बड़ा भाई था. यह मंदिर शकुनि मंदिर के पास ही स्थित है. इस मंदिर को मलंदा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. पूजा के दौरान इस मंदिर में सुपारी, अरक और लाल कपड़े चढ़ाए जाते है.
इस लेख से राक्षसों के मंदिर के बारे में जानकारी प्राप्त होती है और साथ ही यह भी पता चलता है कि भारत में भगवान के साथ-साथ राक्षसों की भी पूजा होती हैं.
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