महादेवी वर्मा के बारे में 10 रोचक तथ्य

महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. वह हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी, महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली महान महिला हैं. उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन महिलाओं की शिक्षा और उनके विकास के लिए समर्पित किया. आइये इस लेख के माध्यम से महादेवी वर्मा के बारे में 10 रोचक तथ्यों को अध्ययन करते हैं.

Apr 27, 2018, 11:52 IST
10 amazing facts about Mahadevi Varma
10 amazing facts about Mahadevi Varma

महादेवी वर्मा हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री, स्वतंत्रता सेनानी, महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली और शिक्षा में निपूर्ण महिला हैं.

उनका जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था.

क्या आप जानते हैं कि महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंब सुमित्रनन्दन पंत, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है. आइये महादेवी वर्मा के बारे में कुछ रोचक तथ्यों पर अध्ययन करते हैं.
महादेवी वर्मा के बारे में रोचक तथ्य
1. महादेवी वर्मा की शिक्षा इंदौर में मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई और साथ ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, संगीत तथा चित्रकला की शिक्षा उन्होंने अपने घर पर पूरी की थी. 1919 में विवाहोपरान्त उन्होंने क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लिया और कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं.

2. वह पढ़ाई में काफी निपूर्ण थी इसलिए उन्होंने 1921 में आठवीं कक्षा में प्रांत भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया था और क्या आप जानते हैं कि यहीं से उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत भी की, 7 वर्ष की अवस्था से ही उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था. 1925 में जब तक उन्होंने मैट्रिक पास की तब तक वह काफी सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थी.

3. "मेरे बचपन के दिन" कविता में उन्होंने लिखा है कि जब बेटियाँ बोझ मानी जाती थीं, उनका सौभाग्य था कि उनका एक आज़ाद ख्याल परिवार में जन्म हुआ. उनके दादाजी उन्हें विदुषी बनाना चाहते थे. उनकी माँ संस्कृत और हिन्दी की ज्ञाता थीं और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं| माँ ने ही महादेवी को कविता लिखने, और साहित्य में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया.

4. महादेवी वर्मा ने 1932 में प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए किया और तब तक उनकी दो कविता संग्रह नीहार तथा रश्मि प्रकाशित हो चुकी थीं. वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य बनीं.

5. विवाह के बाद भी वे क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद के छात्रावास में रहीं. उनका जीवन तो एक सन्यासिनी का जीवन था. उन्होंने जीवन भर श्वेत वस्त्र पहना, तख्त पर सोईं और कभी शीशा नहीं देखा.

6. उनका सबसे क्रांतिकारी कदम था महिला-शिक्षा को बढ़ावा देना और इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान. उन्होंने महिलाओं की प्रमुख पत्रिका ‘चाँद’ का कार्यभार 1932 में संभाला. 1930 में नीहार, 1932 में रश्मि, 1934 में नीरजा, तथा 1936 में सांध्यगीत नामक उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हुए.

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7. उन्होंने नए आयाम गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में स्थापित किये. इसके अलावा उनकी 18 काव्य और गद्य कृतियां हैं जिनमें प्रमुख हैं: मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ और अतीत के चलचित्र.

8. उन्होंने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना 1955 में की थी. भारत में महिला कवि सम्मेलनों की नीव भी उन्होंने ही रखी और 15 अप्रैल 1933 को सुभद्रा कुमारी चौहान की अध्यक्षता में प्रयाग महिला विद्यापीठ में पहला अखिल भारतवर्षीय कवि सम्मेलन संपन्न हुआ.

9. क्या आप जानते हैं कि महादेवी वर्मा बौद्ध धर्म से काफी प्रभावित थीं. महात्मा गांधी के प्रभाव से उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था. उनको 'मॉडर्न मीरा' भी कहा जाता है.

10. महादेवी वर्मा को 27 अप्रैल, 1982 में काव्य संकलन "यामा" के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1979 में साहित्य अकादमी फेलोशिप, 1988 में पद्म विभूषण और 1956 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.

उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और उनकी आर्थिक निर्भरता के लिए बहुत काम किया है. उन्होंने जो 25 किलोमीटर दूर रामगढ़ कसबे के उमागढ़ नामक गाँव में अपना बंगला बनवाया था वह अब महादेवी साहित्य संग्रहालय के नाम से जाना जाता है. उन्हें समाज सुधारक भी कहा जाता है क्योंकि जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और जनसेवा के लिए काम किया है वह सराहनीय पूर्ण है. इलाहाबाद में 11 सितंबर 1987 को उनका देहांत हो गया था.

उनके कुछ प्रमुख गद्य साहित्य हैं:
- विवेचनात्मक गद्य (1942)
- स्मृति की रेखाएं (1943)
- साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (1962)
- संकल्पिता (1969)
- मेरा परिवार (1972 और संस्मरण (1983) आदि.

कुछ प्रमुख कविता संग्रह इस प्रकार हैं:
- नीहार (1930)
- रश्मि (1932)
- नीरजा (1934)
- दीपशिखा (1942)
- अग्निरेखा (1990) आदि.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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