भारतीय स्मार्टफोन उद्योग तकरीबन सात बिलियन डॉलर का उद्योग है. आज देश में लगभग हर दूसरे के हाथ में एक स्मार्टफोन देखने को मिल जाता है. हाल ही के वर्षों में भारत सरकार ने जो पहल की है, उसने न केवल भारत में स्मार्टफोन के विनिर्माण का समर्थन किया है, बल्कि उपयोगकर्ता की रुचि को भी बढ़ाया है और हमारी मांगों के लिए अन्य देशों पर निर्भरता को भी कम किया है. लेकिन क्या भारत चीन से बेहतर हो सकता है या भारत फोन के निर्माण में चीन से आगे निकल सकता है? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.
भारत में स्मार्ट फोन विनिर्माण की प्रक्रिया को कैसे बढ़ावा दिया जाए?
एक फोन निर्माण कंपनी स्मार्टफोन के मामले में एक असेंबलिंग कंपनी (Assembling Company) से अधिक नहीं होती है. ऐसा देखा गया है कि न तो Apple और न ही सैमसंग अपने उत्पादों का निर्माण केवल अपनी ही सामग्री का उपयोग करके करती है. इसके बजाय, फोन का निर्माण एक कंपनी की स्क्रीन को असेंबल करके, दूसरे की बैटरी और फिर दूसरे के कैमरे के साथ किया जाता है. इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि चीन से आगे निकलने के लिए भारत को न केवल बड़ी स्मार्टफोन कंपनियों के लिए अपने गेट खोलने की जरूरत है, बल्कि उन कंपनियों के लिए भी जो अपने पार्ट्स का खुद निर्माण करती है.
भारत में 89% से अधिक कैमरे सोनी द्वारा निर्मित किये जाते हैं और स्क्रीन एलजी या सैमसंग द्वारा. भारत को इन कंपनियों को आसानी से निवेश प्रदान करने और उनके लिए एफडीआई (FDI) शर्तों को आसान बनाने की आवश्यकता है.
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भारत में स्मार्टफोन का व्यवसाय को चीन ने कैसे ओवरटेक किया?
इससे पहले भारत ने सैमसंग इंडिया को पीछे छोड़ते हुए नंबर एक बनने के लिए माइक्रोमैक्स जैसी कंपनियों का नेतृत्व किया. यह 2013-2015 के बीच का समय था.
Xiaomi, Oppo और Vivo अभी शुरुआती चरण में थे. चीनी कंपनियों ने अपनी बिक्री को बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्थाओं के मॉडल पर काम किया. उन्होंने अपने विनिर्माण की लागत को कम करने वाले लाखों स्मार्टफोन का निर्माण किया और इस प्रकार वे कम कीमत पर अच्छे फोन की आपूर्ति कर रहे थे या बेच रहे थे. Xiaomi भारत में स्मार्टफोन बाजार में एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है.
भारतीय कंपनियों के पास नवीनता, गुणवत्ता में प्रमुख कमी थी और कम समय में भारी लाभ मार्जिन हासिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. यही कारण है कि वे तब चीनी कंपनियों की दौड़ में हार गए.
जब भारत सरकार ने मेक इन इंडिया का शुभारंभ किया, तब भी चीनी कंपनियों ने अपनी लागतें कम करने के लिए उन्हें सस्ता और आसानी से उपलब्ध श्रम मुहैया कराते हुए अपना विनिर्माण शुरू किया.
भारत प्रोसेसर और सिलिकॉन चिप्स का निर्माण नहीं करता है. भारत में इस तकनीक का अभाव है और ऐसा बताया जाता है कि अगले 5 वर्षों तक इस क्षेत्र में स्वदेशी उत्पाद प्राप्त करना मुश्किल है.
आइये अब प्रमुख भारतीय मोबाइल निर्माताओं के बारे में जानते हैं
माईक्रोमैक्स इन्फार्मेटिक्स (Micromax Informatics): यह सबसे बड़ा भारतीय मोबाइल निर्माता है जिसका मुख्यालय गुड़गाँव, हरियाणा में है. इसकी स्थापना 2000 में राहुल शर्मा ने की थी.
इंटेक्स टेक्नोलॉजीज (Intex Technologies): इसकी शुरुआत 1996 में नरेंद्र बंसल (Narendra Bansal) ने की थी और यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके खाते में स्मार्टफ़ोन, एलईडी टीवी, स्पीकर, टैबलेट, फ़ीचर फ़ोन, एसी, यूपीएस, कूलर इत्यादि जैसे उत्पादों की एक विशाल श्रृंखला है. कंपनी के पास लगभग INR 6200 करोड़ का राजस्व है और 10,000 है और अधिक कर्मचारी.
लावा इंटरनेशनल (Lava International): यह तीसरी सबसे बड़ी भारतीय मोबाइल कंपनी है और इसका मुख्यालय नोएडा में है. यह 2009 में हरिओम राय (Hari Om Rai) और अन्य लोगों द्वारा स्थापित की गई थी और यह स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप का निर्माण करती है. कंपनी के पास लगभग 542 करोड़ का राजस्व (Revenue) है.
कार्बोन मोबाइल (Karbonn Mobile): यह कंपनी सुधीर हसीजा और परदीप जैन (Sudhir Hasija & Pardeep Jain) ने 2009 में शुरू हुई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. कंपनी मोबाइल, टैबलेट, फीचर फोन और टैबलेट बनाती है. इसके पास लगभग INR 650 करोड़ का राजस्व है और 10000+ कर्मचारी हैं.
आईबॉल मोबाइल कंपनी (iBall Mobile company): इसकी शुरुआत 2001 में अनिल परसरामपुरिया (Anil Parasrampuria) ने की थी. इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है. कंपनी कंप्यूटर एक्सेसरीज, स्मार्टफोन, टैबलेट, राउटर और स्पीकर आयात करती है. यह 2000 से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं और उनका टर्नओवर लगभग रु 2000 करोड़ है.
Reliance Jio Lyf Mobiles सबसे बड़ी भारतीय टेलीकॉम कंपनी JIO की सहायक कंपनी है. यह 4G Volte Smartphones (Jio Phone) और अन्य Android मोबाइल, WIFI डोंगल बनाती है. कंपनी की स्थापना श्री मुकेश अंबानी ने 2015 में की थी और इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है.
स्पाइस मोबाइल्स (Spice Mobiles): यह स्पाइस डिजिटल लिमिटेड का हिस्सा है जिसकी स्थापना श्री भूपेंद्र कुमार मोदी (Mr Bhupendra Kumar Modi) ने वर्ष 2000 में की थी. स्पाइस डिजिटल के पास मूल्य वर्धित सेवाएं (Businesses Value Added Services), स्पाइस टेलीकॉम और स्पाइस मोबाइल्स हैं. कंपनी ने स्पाइस स्टेलर ब्रांड (Spice Stellar Brand) नाम के तहत कई फोन लॉन्च किए हैं. कंपनी का मुख्यालय नोएडा में है और इसमें 500+ कर्मचारी हैं.
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आइये अब अंत में जानते हैं कि पिछले 5 वर्षों में क्या बदल गया है?
भारत ने बैटरी बनाना शुरू कर दिया है. सैमसंग के पास नोएडा में एक बड़ी सुविधा है जहां वे पीसीबी और अन्य आवश्यक घटक भी बना सकते हैं. सैमसंग ने जून 2020 में देश में डिस्प्ले पैनल बनाने के लिए 5000 करोड़ के निवेश के साथ उत्तर प्रदेश में एक संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की.
TATA ने चेन्नई में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण सुविधा में निवेश करने के लिए भी एक पहल की है. कई अन्य कंपनियां उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत निवेश कर रही हैं. इस योजना के माध्यम से, निर्माता जब तक उत्पादन शुरू नहीं करते, तब तक वे मुनाफा नहीं कमा सकते. यह कई कंपनियों को अब भारत में अपनी विनिर्माण प्रक्रिया शुरू करने के लिए मजबूर करेगा.
भारत अब स्मार्टफोन निर्माण में दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है. लगभग 40% बाजार भारत द्वारा कवर कर लिया गया है.
कोरोना महामारी के कारण चीन का बाजार प्रभावित हुआ है. भारत इसका लाभ उठा सकता है और भारत अधिक विनिर्माण इकाइयों को आकर्षित कर सकता है.
इस प्रकार की गति के साथ भारतीय बाजार मुनाफे की ओर बढ़ रहा है. ऐसा कहा जा सकता है कि अगले 10 वर्षों में भारत स्मार्टफोन के विनिर्माण में चीन से आगे निकल जाएगा.
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