जानें भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए अनिवार्य योग्यताएं क्या हैं
पूरे विश्व में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं. भारत के राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है. राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और वह तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है. राष्ट्रपति को शपथ इसलिए दिलाई जाती है ताकि संविधान और भारत के कानून को संरक्षित और सुरक्षित किया जा सके.
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भारत में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका काफी अनूठा है क्योंकि इसमें कई देशों के चुनाव के तरीकों को शामिल किया गया है. राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्य के विधानमंडल के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता हैं. निर्वाचक मंडल भारत के राष्ट्रपति का चुनाव करता है और इनके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक होता है. उनका वोट सिंगल ट्रांसफीरेबल होता है और उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है. निश्चित रूप से, कोई भी राष्ट्रपति ऐसे ही नहीं बन सकता है इसके लिए एक प्रक्रिया होती है जिसके बारे में इस लेख के माध्यम से बताएँगे.
राष्ट्रपति बनने के लिए योग्यताएं
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार:
1. भारत का नागरिक होना अनिवार्य है.
2. कम से कम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए.
3. वह व्यक्ति किसी भी लाभ के पद पर कार्यरत न हो.
4. वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता पूरी करता हो.
- इस उदेश्य के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेनी होगी की वह संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठां रखेगा और वह भारत की सम्प्रुभुता एवं अखंडता को अक्षुण रखेगा.
- लोकसभा में स्थान के लिए कम से कम 25 वर्ष की आयु होनी चाहिए.
- उसके पास ऐसी अन्य अहर्ताएं होनी चाहिए, जो संसद द्वारा मांगी गई हो. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संसद ने निम्नलिखित अन्य अहर्ताएं निर्धारित की हैं: उस व्यक्ति को, राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के उस निर्वाचन क्षेत्र का पंजीक्रत मतदाता होना चाहिए. वह लोकसभा निर्वाचन के लिए अनिवार्य है. यदि कोई व्यक्ति आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्रों में अनुसूचित जाती या जनजाती का सदस्य होना चाहिए. हालांकि अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्य उन सीटों के लिए चुनाव लड़ सकते हैं, जो उनके लिए अरक्षित नहीं हैं.
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राष्ट्रपति के पास कौन-कौन से अधिकार होते हैं
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भारत के संविधान में राष्ट्रपति को ऐसे अधिकार दिए गए है जो अन्य किसी पदाधिकारी के पास नहीं होते हैं.
- राष्ट्रपति की सहमति के बिना भारत में कोई भी कानून नहीं बन सकता है.
- किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के बिना कानून के रूप में बदला नहीं जा सकता है.
- जब विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो वह हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है.
- अब यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वह उस विधेयक को मंजूरी दे या फिर दूबारा विचार करने के लिए संसद के पास भेज दे.
- अगर संसद दूबारा विधेयक को पारित कर देती है तो राष्ट्रपति उसे मंजूरी देने के लिए बाध्य है.
- राष्ट्रपति को वोट देने का भी अधिकार होता है जिसके तहत वह संसद में पारित किसी भी विधेयक को अनिश्चित काल तक अपने पास रख सकता है.
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राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने समय के लिए होता है
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राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर निर्वाचित हो सकता है, इसके लिए कोई भी अधिकतम आयु सीमा निर्धारित नहीं की गई है. राष्ट्रपति चाहे तो 5 वर्ष से पहले भी उपराष्ट्रपति को त्यागपत्र देकर अपने पद से मुक्त हो सकता है.
संविधान के अनुच्छेद 61 के अनुसार राष्ट्रपति को पांच वर्ष से पहले महाभियोग लगाकर और उसे सिद्ध करके भी हटाया जा सकता है. यह संविधान के उल्लंघन के सम्बन्ध में लगाया जाता है. इसके लिए 14 दिन पूर्व लिखित सूचना देकर पारित कराया जाता है. राष्ट्रपति महाभियोग के समय खुद अपना पक्ष रख सकता है और जो भी कार्य उन्होंने पद पर रहकर किए हैं उनके लिए न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है.
अगर किसी कारण वश राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है या उनकी मृत्यु हो जाती है तो उपराष्ट्रपति उनके पद पर तब तक कार्यरत रहते हैं जब तक कि नए राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो जाता है. यहा ध्यान देने वाली बात यह है कि 6 माह के भीतर राष्ट्रपति का निर्वाचन होना चाहिए और नए राष्ट्रपति का कार्यकाल भी 5 वर्ष का होता है.राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित किसी भी किस्म का विवाद या संदेह का निर्धारण उच्चतम न्यायालय द्वारा किया जाता है.
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार होता है
राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता हैं
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राष्ट्रपति का निर्वाचन अनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार सिंगल ट्रांसफीरेबल वोट द्वारा एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है, जिसमें राज्य सभा, लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते है. इस मंडल में दिल्ली और पुदुचेरी विधानसभाओं के सदस्यों को 70वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के द्वारा शामिल किया गया था. इस पद के उम्मीदवार के पक्ष में निर्वाचक मंडल के 50 प्रस्तावक तथा 50 अनुमोदक सदस्य होना अनिवार्य है. इसके बाद प्रत्येक योग्य मतदाताओं के मत का मूल्य निकाला जाता है जोकि अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग होता है. राज्य विधानसभा के प्रत्येक सदस्य के मत का मूल्य निकालने के लिए उस राज्य की कुल जनसंख्या में राज्य विधानसभा के कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाता है. फिर शेषफल में 1000 से भाग दिया जाता है.
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संसद सदस्यों के मत मूल्य निकालने के लिए राज्य विधानसभाओं के कुल मत मूल्य में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से भाग दिया जाता है. राष्ट्रपति के चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को एक न्यूनतम कोटा प्राप्त करना होता है.
अंत में हम यह कह सकते है कि कोई भी भारतीय नागरिक उपरोक्त योग्यताओं पर खरा उतरते हुए भविष्य में भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद अर्थात भारत के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित हो सकता है.