इतिहास उठाकर देखें, तो हमें पानीपत के युद्ध का जिक्र मिलता है। पानीपत में कुल तीन प्रमुख लड़ाईयां लड़ी गई हैं, जिनमें पहली लड़ाई भारत के इतिहास में अधिक महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि, यह वह लड़ाई है, जिससे भारत में मुगलों का प्रवेश हुआ था और इतिहास में मुगल काल जुड़ा।
हालांकि, यह लड़ाई इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि इस लड़ाई को जीतने के लिए बाबर की ओर से अरबा नामक चक्रव्यूह बनाया गया था, जिसकी मदद से बाबर को लड़ाई जीतने में मदद मिली थी।
कब हुई थी पानीपत की पहली लड़ाई
पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल, 1526 को हुई थी। इस दिन काबुल के शासक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत के मैदान में युद्ध हुआ था।
क्या होता था अरबा चक्रव्यूह
अरबा एक प्रकार की युद्ध लड़ने की व्यवस्था थी, जिसके तहत रथों को दुश्मन की तरफ मुंह कर खड़ा किया जाता था। ये सभी रथ एक-दूसरे से बंधे होते थे। बाबर ने कुशल तीरंदाजों और घुड़सवारों को मध्य और किनारों पर तैनात किया था। वहीं, तोप को इस सेना के पीछे स्थापित किया गया था। कुछ सेना को बाई और कुछ सेना को दाईं तरफ बांटकर लोदी के सेना का घेराव किया था।
बाबर के पास कमी थी सैनिकों की संख्या
बाबर जितनी सेना के साथ युद्ध के लिए पहुंचा था, वह लोदी की सेना की तुलना में बहुत कम थी। दरअसल, बाबर की सेना में करीब 15 हजार सैनिक थे। इनमें कुशल घुड़सवार से लेकर तोपखाने के विशेषज्ञ शामिल थे। वहीं, लोदी की सेना में करीब 1 लाख सैनिक थे, जिससे यह युद्ध लोदी के पक्ष में था।
लोदी को हराकर मुगल साम्राज्य की नींव
बाबर ने इस युद्ध में अरबा नामक व्यवस्था से लोदी पर हमला कर उसकी सेना को हराया था। इस युद्ध में लोदी व उसके सैनिक मारे गए, जिसके बाद बाबर की जीत हुई और दिल्ली की गद्दी पर बाबर की सत्ता काबिज हुई थी। यही से दिल्ली में मुगल काल शुरू हुआ था।
इतिहास का महत्त्वपूर्ण युद्ध
पानीपत की पहली लड़ाई भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों में से एक है। क्योंकि, इस लड़ाई से भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी थी, जिसके बाद मुगलों ने कई वर्षों तक शासन किया और अंत में अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह जफर-2 को ब्रिटिश ने रंगून भेजकर दिल्ली की सत्ता भी अपनी हाथ में ले ली थी।
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