भारत की प्राचीन सभ्यताओं को उठाकर देखें, तो हमें सिंधु घाटी की सभ्यता का नाम सबसे ऊपर देखने को मिलता है। यह सभ्यता अपने शहरी नियोजन, माप-तोल की ईकाई, जल निकासी व कांस्य युग के लिए जानी जाती थी।
इस सभ्यता को हम हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं। यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए बहुत उपयोगी है। इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर सिंधु घाटी सभ्यता क्य थी और इतिहास में इसका क्या महत्त्व रहा है।
कितने साल पुरानी है सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता का मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में विकास हुआ था। वर्तमान में यह आज का पाकिस्तान और पश्चिमी भारत का हिस्सा है। इसके समयकाल की बात करें, तो करीब 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक इसका समयकाल माना जाता है। इस समय में इसका परिपक्व काल लगभग 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व तक माना जाता है।
किसलिए जानी जाती है सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता को मुख्य रूप से शहरी नियोजन, पक्की ईंटों के घरों, विस्तृत जल निकासी प्रणाली, सड़क व्यवस्था और मानकीकृत वजन और माप के लिए जाना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य शहर
सिंधु घाटी सभ्यता के दो मुख्य शहर थे। इन शहरों की बात करें, तो ये मोहनजोदड़ो और हड़प्पा हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की क्या हैं मुख्य विशेषताएं
शहरी नियोजन: इस सभ्यता में शहर को पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया था। शहर में सड़कों का निर्माण ग्रिड प्रणाली के तहत किया गया था। इन सड़कों की बनावट ऐसी थी कि यह समकोण पर एक-दूसरे को काटती थीं। शहर में सभी घरों का निर्माण पक्की ईटों से किया गया था। साथ ही, सभी घरों में स्नानघर और आंगन भी बनाए जाते थे।
जल निकासी प्रणाली: सिंधु घाटी सभ्यता में प्रत्येक घर से जल निकासी की व्यवस्था थी। इसके तहत घरों से नालियों के माध्यम से पानी को शहर से बाहर ले जाया जाता था।
कृषि और अर्थव्यवस्था: सिंधु घाटी सभ्यता में कृषि प्रमुख हुआ करती थी। उस समय गेहूं, कपास, चावल, जौ और विभिन्न प्रकार की दालों की खेती की जाती थी। सिंधु सभ्यता में मेसोपोटामिया जैसी समकालीन सभ्यताओं के साथ व्यवसाय भी किया जाता था।
कला और शिल्प: सिंधु घाटी सभ्यता में लोग कला में भी माहिर थे। लोगों द्वारा मिट्टी के बर्तन, खिलौने, मुहर व मूर्तियां भी बनाई जाती थीं। खास बात यह है कि सिंधु घाटी में मिली मुहरों पर एक लिपी भी मिली है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
धर्म: सिंधु घाटी सभ्यता में धर्म को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि, मुहरों पर मिले प्रतीकों से यह प्रतीत होता है कि पशुपति के रूप में भगवान शिव को पूजा जाता था।
कैसे हुआ सभ्यता का पतन
सिंधु घाटी सभ्यता का पतन करीब 1900 ईसा पूर्व के लगभग शुरू हुआ था। इसके पतन के पीछे जलवायु परिवर्तन, नदियों का सूखना और बाढ़ व बाहरी आक्रमण जैसे कारण माने जाते हैं।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation