गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर बहुत से लोगों को पता नही होता है. कुछ लोग तो इन्हें पर्यायवाची के रूप में जानते हैं. लेकिन ऐसा सच नही है और ये दोनों शब्द एक दूसरे से बहुत अलग अलग हैं. इस दोनों के बारे में एक बात कॉमन यह है कि ग्राहक को गारंटी/वारंटी का लाभ लेने के लिए पक्के बिल या गारंटी/वारंटी कार्ड रखना जरूरी होता है. ये जरूरी कागज होने के बाद भी यदि कोई दुकानदार सामान को बदलने से मना या रिपयेर करवाने से मना करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है. इस लेख में हमने सामान्य लोगों की समस्या का समाधान करने के लिए गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर बताया है.
वारंटी किसे कहते हैं:
विक्रेता की ओर से किसी ग्राहक को दी जाने वाली एक विशेष छूट जिसमे किसी उत्पाद के खराब होने की दशा में दुकानदार/कम्पनी द्वारा उसी उत्पाद को ठीक कराकर दिया जाता है. इसी को वारंटी कहते हैं.
वारंटी हासिल करने की शर्तें निम्न हैं:
1. पहली शर्त यह है कि ग्राहक के पास या तो खरीदी गयी वस्तु का पक्का बिल हो या वारंटी कार्ड हो.
2. उत्पाद की वारंटी एक निश्चित समय के लिए ही होती है. ज्यादातर उत्पादों के केस में यह अवधि 1 साल होती है. यदि ग्राहक इस समय अवधि के बीत जाने के बाद उत्पाद को मरमम्त के लिये दुकानदार के पास ले जाता है तो इसे सुधारना/ठीक करवाना दुकानदार का दायित्व नही है.
गारंटी किसे कहते हैं: यदि कोई उत्पाद गारंटी पीरियड (सामान्यतः 1 साल) के दौरान ख़राब हो जाता है और उत्पाद पर 1 साल की गारंटी लिखी गयी है तो दुकानदार ग्राहक को नया उत्पाद देने के लिए बाध्य होता है. अतः पुराने ख़राब उत्पाद के बदले नया उत्पाद देने को ही गारंटी कहा जाता है.
गारंटी हासिल करने की शर्तें निम्न हैं:
1. ग्राहक के पास या तो खरीदी गयी वस्तु का पक्का बिल हो या गारंटी कार्ड हो
2. गारंटी पीरियड के ख़त्म होने के पहले ही ख़राब उत्पाद को दुकानदार के पास ले जाना चाहिए तभी ख़राब उत्पाद के बदले नया उत्पाद मिलेगा.
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आइये अब गारंटी और वारंटी के बीच के अंतर को विस्तार से जानते हैं
1. वारंटी में ख़राब उत्पाद को दुकानदार या कम्पनी द्वारा ठीक किया जाता है जबकि गारंटी वाले उत्पाद को खराब होने की स्थिति या ठीक से काम ना करने की स्थिति में दुकानदार के पास ले जाने पर नया उत्पाद मिलता है.
2. वारंटी एक तय समय सीमा के लिए होती है लेकिन इसको कुछ अधिक भुगतान करके आगे बढाया जा सकता है, लेकिन गारंटी को आगे नही बढाया जा सकता है.
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समन और वारंट क्या होते है और इनमें क्या अंतर होता है?
3. वारंटी लगभग हर उत्पाद पर मिलती है जबकि गारंटी कुछ चुनिन्दा उत्पादों पर ही मिलती है. इस प्रकार वारंटी के दायरा बड़ा होता है जबकि गारंटी का छोटा.
4. वारंटी में दिया जाने वाला समय अधिक होता है जबकि गारंटी कम समय के लिए दी जाती है.
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5. जिस उत्पाद में गारंटी दी जाती है उसको खरीदने में लोग ज्यादा उत्सुक होते हैं जबकि वारंटी वाले उत्पाद के लिए लोग कम उत्सुक होते हैं.
ग्राहक को दी जाने वाली गारंटी कंपनी की अपने प्रोडक्ट के प्रति जवाबदेही होती है. यदि कोई उत्पाद लोगों की उम्मीदों पर खरा नही उतरता है और उसके साथ गारंटी और वारंटी जैसी कोई सुविधा नही होती है तो इस प्रकार के उत्पाद को खरीदने से लोग बचना पसंद करते हैं.
हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको गारंटी और वारंटी के बीच का अंतर बहुत ठीक से पता चल गया होगा.
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