रेलवे फाटक पर इंतजार करना अक्सर लोगों को परेशान कर देता है, खासकर तब जब ट्रेन देर से आती है और गेट पहले ही बंद कर दिया जाता है। कई बार लोग गेटमैन पर गुस्सा कर बैठते हैं, लेकिन असलियत यह है कि गेटमैन सिर्फ स्टेशन मास्टर के आदेश का पालन करता है। पूरा सिस्टम ट्रेन की सुरक्षा और सड़क पर चलने वालों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है। आइए समझते हैं कि रेलवे फाटक बंद करने का नियम क्या है और यह कब लागू होता है।
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क्या गेटमैन की होती है जिम्मेदारी?
रेलवे में ट्रेन को हरी झंडी दिखाने, सिग्नल देने और फाटक बंद करने का जिम्मा स्टेशन मास्टर के हाथ में होता है। लोको पायलट, गार्ड और गेटमैन ये सभी उनके आदेश का पालन करते हैं। गेटमैन अपने मन से गेट बंद या खोल नहीं सकता, उसे नजदीकी स्टेशन से फोन पर आदेश मिलता है कि गेट बंद किया जाए, और ट्रेन गुजरने के बाद भी तभी खोला जाता है जब स्टेशन मास्टर अनुमति देता है।
एब्सोल्यूट ब्लॉक सिग्नल सिस्टम
रेलवे में सिग्नलिंग के लिए एब्सोल्यूट ब्लॉक सिग्नल सिस्टम (Absolute Block System) का इस्तेमाल होता है। इसमें दो स्टेशनों के बीच अगर दूरी 4 से 6 किलोमीटर है, तो एक ट्रेन के रास्ते पर होने पर दूसरी ट्रेन को सिग्नल तब तक नहीं मिलता जब तक पहली ट्रेन अगले स्टेशन पर न पहुंच जाए। इस दौरान, ट्रेन के 4 से 6 किलोमीटर दूर होते ही स्टेशन मास्टर गेटमैन को फाटक बंद करने का आदेश देता है।
इंटरलॉक सिस्टम का क्या है रोल
रेलवे फाटक सिग्नल से इंटरलॉक होते हैं। जब तक फाटक बंद नहीं होगा, ट्रेन को सिग्नल नहीं मिलेगा। यही वजह है कि ट्रेन के पास आने से पहले ही फाटक बंद कर दिया जाता है, ताकि ट्रेन बिना किसी रुकावट के सुरक्षित रूप से गुजर सके। अगर फाटक बंद न हो, तो ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकती।
स्टेशनों के बीच ज्यादा दूरी पर नियम
अगर दो स्टेशनों के बीच दूरी 10 से 12 किलोमीटर है, तो वहां इंटरमीडिएट ब्लॉक सिग्नल (IBS) लगाया जाता है। जब ट्रेन इस सिग्नल को पार करती है, तो स्टेशन मास्टर गेटमैन को फाटक बंद करने का आदेश देता है। यानी ट्रेन के 4 से 6 किलोमीटर दूर होते ही फाटक बंद हो जाता है। फाटक तक ट्रेन पहुंचने में कितना समय लगेगा, यह उसकी स्पीड पर निर्भर करता है।
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