अकबर को मुग़ल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है. जब हुमायूँ की अचानक मृत्यु हुई थी उस समय अकबर की उम्र सिर्फ 13 साल थी. उस समय मुग़ल साम्राज्य के अन्तरगत सिर्फ दिल्ली और पंजाब के इलाके ही शामिल थे. अफगान अभी भी बिहार क्षेत्र में एक मजबूत ताकत के रूप में मौजूद थे. गंगा की फ्हती और बंगाल राजस्थान पूरी तरह से राजपूतो के नियंत्रण के अधीन थे. उसका भाई हाकिम खान काबुल में शासन कर रहा था.
जिस समय हुमायूँ की मृत्यु हुई उस समय अकबर सिकंदर शाह के साथ सरहिंद के युध्ह में व्यस्त था. उसका दिल्ली के शासक के रूप में राज्यारोहण1556 ईस्वी में कलानौर(पंजाब) नामक स्थान पर बैरम खान के द्वारा संपन्न किया गया. अकबर के युवाकाल तक बैरम खान माहम अनगा के साथ अकबर का संरक्षक और सहयोगी बना रहा.
बैरम खान
बैरम खान बदख्शां का रहने वाला था. मुग़ल दरबार में उसके दादा अपने परिवार के साथ काफी पहले आये थे. बैरम खान की पहचान मुग़ल दरबार में काफी महत्वपूर्ण थी. उसने मुग़ल साम्राज्य की मजबूती और स्थापना में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
बैरम खान अब्दुल रहीम खान-ए-खाना का पिता था. अब्दुल रहीम खान-ए-खाना अकबर के दरबार में रहने वाले नौरत्नो में से एक थे.
माहम अनगा
माहम अनगा अकबर की मुहबोली माँ थी. माहम अनगा के पुत्र का नाम आदम खान था. आदम खान एक घमंडी और महत्वाकांक्षी व्यक्ति था. उसने अकबर के एक प्रमुख जेनेरल शमशुद्दीन मुहम्मद अतगा खान की हत्या की थी.
अकबर ने अपने अधिकारियों को आदेश दिया कि अतगा खान को महल की चाहर दिवारी से फेंका जाये. आदम खान की मृत्यु की खबर माहम अनगा को जैसे ही दिया गया वह दुःख में बीमार पड़ गयी जिसकी वजह से ठीक 40 दिन की अवधि के पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी. माहम अनगा की भूमिका अकबर के प्रारंभिक दिनों में काफी महत्वपूर्ण थी. वह बहुत ही प्रभावशाली महिला थी.
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