कॉमर्स स्टूडेंट्स द्वारा फेस की जाने वाली 6 महत्वपूर्ण बातें

Oct 9, 2017, 16:18 IST

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कॉमर्स को सामान्यतः साइंस  और आर्ट्स के बीच मध्यम दर्जे का सब्जेक्ट माना जाता है.

6 things only a commerce student will understand
6 things only a commerce student will understand

भारतीय शिक्षा प्रणाली में कॉमर्स को सामान्यतः साइंस  और आर्ट्स के बीच मध्यम दर्जे का सब्जेक्ट माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि घंटों पढ़ाई करने में सक्षम तथा बुद्धिमान छात्र साइंस सब्जेक्ट लेते हैं, सिद्धांतो को पसंद करने वाले तथा विषयों को याद करने में रूचि रखने वाले छात्र आर्ट्स लेते है. इनसे अलग उन छात्रों के लिए जो न तो घंटों पढ़ाई करना चाहते हैं और ना ही  बहुत ज्यादा रटने में विश्वास करते हैं वे कॉमर्स सब्जेक्ट का चयन करते हैं. हालाँकि बहुत से ऐसे छात्र हैं जो इन मिथकों से दूर इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं. खैर आप किसी भी सब्जेक्ट में रूचि रखते हों हम आगे  कॉमर्स के छात्रों द्वारा अमूमन फेस की जाने वाली आम घटनाओं या तथ्यों का वर्णन कर रहे हैं -

सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) बनना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है.

ज्यादातर लोगों की धारणा रहती है कि कॉमर्स का छात्र आगे चलकर सीए की तैयारी कर एक सफल सीए बनने की कोशिश करेगा. कॉमर्स करने वालों के लिए सीए पहले करियर विकल्प के रूप में सामने आता है. इसके लिए उम्मीदवारों को कठिन मेहनत करते हुए कई परीक्षाएं पास करनी होती है. प्रतिस्पर्धा के इस युग में सीए बनना इतना आसान नहीं है. 

लेजर और बैलेंस के साथ मैच का संघर्ष वास्तविक है

2 और 2 को एक साथ रखना जितना आसान  लगता है वास्तव में उतना आसान है नहीं. लेजर बैलेंस का मैचिंग एक एक मुश्किल प्रक्रिया है क्योंकि अगर आप एक चरण में गलत हो जाते हैं तो अंत तक गणना गलत होती चली जाती है और आप सही हल नहीं  निकाल सकते हैं.

अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना एक बड़ी संभावना की तरह लगता है

 

उद्यमशीलता और एक व्यवसाय स्थापित करने लिए मूलभूत सिद्धांतों के बारे में बहुत कुछ सीखने के बाद एक व्यवसाय स्थापित करने का आइडिया बहुत ही बेहद लोकप्रिय विचार की तरह नहीं लगता है. आप ए से लेकर जेड तक कार्य करने के विषय में सीखते हैं इसलिए आप एक नया व्यवसाय खड़ा करने की स्थिति में होते हैं.

काफी उच्च कट-ऑफ


जब कॉमर्स  पाठ्यक्रमों की बात आती है, तो दिल्ली विश्वविद्यालयों जैसे भारत के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों में बहुत अधिक कट ऑफ होता है.वर्ष 2015 में  डीयू के प्रीमियर कॉमर्स कॉलेज एसआरसीसी में छात्रों को प्रवेश के लिए 100 प्रतिशत अंक की आवश्यक्ता थी.यह पहला कटऑफ था और बाद के चरणों में प्रतिशत नीचे आया लेकिन  91 या 92 प्रतिशत तब भी पर्याप्त नहीं था.

आप कैलकुलेटर और रूलर्स के बिना गणना नहीं कर सकते


कैलकुलेटर और स्केल क्लास और परीक्षाओं में आपके स्थायी साझीदार बन जाते हैं. कैलकुलेटर एक आवश्यक उपकरण है क्योंकि यह आपकी स्वयं की गणना आदि की जांच करने में मदद करता है. एक रूलर आपको आवश्यक अतिरिक्त अंक प्राप्त करने में मदद करता है, खासकर अर्थशास्त्र में जहाँ  ग्राफ का चित्रण करना जरुरी होता है.

अन्य स्ट्रीम्स के साथ तुलना


यह एक सामान्य धारणा है कि 'स्मार्ट' बच्चे विज्ञान चुनते हैं और 'भावुक' आर्ट्स की तरफ  जाते हैं. वे कॉमर्स के छात्रों को सेंटर में छोड़ देते हैं. उन्हें अक्सर यही बताया जाता है कि उनका पाठ्यक्रम आसान है तथा कम मेहनत से अधिक नंबर लाया जा सकता है.

निष्कर्ष

ये वो बातें जिसे सभी कॉमर्स के छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान अवश्य सुनते हैं. लेकिन अगर आपकी रूचि कॉमर्स में है तो इन रूढ़िगत विचारों से ऊपर उठकर अपने चयन को सही ठहराते हुए प्रयत्न कर जीवन में कामयाबी हासिल कीजिये.

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