वस्तुतः कंजर्वेशनिस्ट का प्रोफाइल बहुत बृहद होता है. उसके पास पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कई कार्यों की जिम्मेदारी होती है. उन मुख्य जिम्मेदारियों में से एक जिम्मेदारी है जल को प्रदूषित होने से बचाना. आजकल प्रदूषित जल की समस्या तथा स्वच्छ जल का अभाव एक जटिल समस्या है. अतः नैतिकता और सामाजिकता के आधार पर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय कार्य करना आज के समय की मांग है.
आज पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखने के लिए ऐसे लोगों की जरूरत है, जो नदियों को साफ करने की परियोजनाओं और जल प्रदूषण के प्रति काम कर सकें. इस क्षेत्र के विशेषज्ञ कंजर्वेशनिस्ट कहलाते हैं, जिनकी आज काफी मांग है. यदि आपको पहाड़ी इलाकों और जंगलों में जाना अच्छा लगता है. आपका रुझान प्रकृति के हरे भरे दृश्यों के प्रति है. आकाश में उड़ते पंछी आपको सहज ही आकर्षित करते हैं और आप पर्यावरण के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हैं तो आप एक कंजर्वेशनिस्ट के रूप में कार्य कर सकते हैं.

आइये जानते हैं कैसे बनें इस क्षेत्र के विशेषज्ञ ?
आज नदियों की स्थिति बिलकुल अच्छी नहीं है. गंगा, यमुना समेत अधिकांश नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. कहीं-कहीं तो यह स्तर खतरे के लेवल को पार कर गया है. नदियों के किनारे बसे शहरों, वहां के सीवर और वहां चल रहे कारखानों से निकलने वाले रासायनिक कचरे से नदियों का पानी काफी प्रदूषित हो जाता है. ऐसे में नदियों को प्रदूषणमुक्त करने में तमाम लोग लगे हुए हैं, सरकार की तमाम योजनाएं चल रही हैं, एनजीओ तथा कई सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में लगी हुई हैं. लेकिन इस कार्य में और अधिक कार्यकर्ताओं की जरुरत है तभी इस क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त की जा सकती है. इसके अतिरिक्त इस दिशा में लोगों को जागरूक करने की भी जरुरत है ताकि वे कम से कम मात्रा में जल को प्रदूषित करने का प्रयास करें.
रिवर कंजर्वेशनिस्ट
रिवर कंजर्वेशनिस्ट ऐसे कार्यकर्ता को कहते हैं, जो अपने अर्जित ज्ञान व अन्य संसाधनों से नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए अभियान का संचालन या उसमें योगदान करते हैं. आमतौर पर ये विज्ञान की पृष्ठभूमि से आते हैं, लेकिन इस काम के लिए विज्ञान की पृष्ठभूमि होना बहुत जरूरी नहीं है.
कैसे पाएं प्रवेश ?
इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए विज्ञान की पृष्ठभूमि प्लस प्वाइंट होती है. अगर आप एनवायर्नमेंटल स्टडीज या इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, तो आपको 12वीं तक साइंस की पढ़ाई करना चाहिए. लेकिन अगर आप एनजीओ के लिए एक्टिविस्ट के रूप में काम करना चाहते हैं, तो साइंस बैकग्राउंड जरूरी नहीं है.
कोर्स
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कुछ विश्वविद्यालय व इंस्टीट्यूट्स एनवायर्नमेंटल स्टडीज में डिग्री-डिप्लोमा ऑफर करते हैं. इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट पीजी डिप्लोमा इन एनवायर्नमेंटल लॉ ऐंड मैनेजमेंट देता है, वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी एनवायर्नमेंटल बायोलॉजी में एमएससी की डिग्री देता है.आइआइटी रुड़की हाइड्रोलॉजी में पीजी डिप्लोमा और एमटेक प्रोग्राम संचालित करती है.
प्रमुख संस्थान
’ इंडियन लॉ इंस्टीट्यूट, दिल्ली
www.ilidelhi.org
’ एनवायर्नमेंटल बायोलॉजी डिपार्टमेंट, दिल्ली विवि, दिल्ली
www.du.ac.in
’ दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली
www.dce.edu
’ जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
www.jnu.ac
अतः कंजर्वेशनिस्ट बनकर नदियों को नई जिंदगी देने के साथ साथ आगामी युवा पीढ़ी तथा समाज को दें एक अभिनव सन्देश.
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