इंडियन स्टूडेंट्स के लिए चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट का करियर स्कोप

आजकल इंडियन स्टूडेंट्स CFA अर्थात चार्टड फाइनेंशियल एनालिस्ट का करियर शुरू करने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. आइये इस आर्टिकल में पढ़ें महत्त्वपूर्ण जानकारी.

Chartered Finance Analist Career for Indian Students
Chartered Finance Analist Career for Indian Students

इंडियन स्टूडेंट्स के लिए चार्टड फाइनेंशियल एनालिस्ट का करियर काफी प्रतिष्ठित करियर्स में से एक है. इन्वेस्टमेंट फाइनेंस की फील्ड में यह बेहतरीन करियर ऑप्शन है. आजकल हमारे देश के कॉमर्स स्टूडेंट्स CFA अर्थात चार्टड फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करना चाहते हैं. दरअसल, यह ग्रेजुएशन लेवल का ऐसा कोर्स है जिसके तहत इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए इनवेस्टमेंट एनालिसिस, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्किल्स और एथिकल स्टैंडर्ड्स जैसे टॉपिक्स की व्यापक जानकारी प्रदान की जाती है. CFA का कोर्स करने के लिए स्टूडेंट्स और यंग प्रोफेशनल्स के पास फाइनेंस की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में अपनी 12वीं की परीक्षा पास की हो. अगर आप भी इन्वेस्टमेंट फाइनेंस इंडस्ट्री में काफी दिलचस्पी रखने वाले कॉमर्स स्ट्रीम के स्टूडेंट हैं तो आप इस आर्टिकल को पढ़कर, CFA के बारे में सारी महत्त्वपूर्ण जानकारी जरुर हासिल करें. आइये आगे पढ़ें:

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CFA (चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट) प्रोफेशन के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया

CFA बनने के लिए छात्रों को निम्नलिखित में से किसी एक योग्यता को अवश्य ही पूरा करना होगा

  1. चार साल का प्रोफेशनल अनुभव
  2. ग्रेजुएशन की डिगी/ ग्रेजुएशन प्रोग्राम के अंतिम वर्ष में होना चाहिए
  3. अन्तरराष्ट्रीय पासपोर्ट होना चाहिए
  4. अंग्रेजी भाषा का पर्याप्त ज्ञान.

CFA कोर्स में एडमिशन लेने की सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद उम्मीदवार को CFA के कुल तीन लेवल को क्लियर करना होता है. इन तीनों लेवल को पास करने के बाद उम्मीदवार को सालाना फीस भरकर CFA इंस्टीट्यूट की सदस्यता लेनी पड़ती है. सदस्यता लेने के दौरान उन्हें इस बात की प्रतिज्ञा करनी होती है कि वे इंस्टीट्यूट की अचार संहिता और प्रोफेशनल एथिक्स से जुड़े नियमों का सर्वथा पालन करेंगे. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो इंस्टीट्यूट उनकी सदस्यता आजीवन के लिए रद्द कर सकती है.

उम्मीदवारों को इस कोर्स को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष एक परीक्षा पास करनी होती है. पहली परीक्षा अर्थात लेवल 1 का एग्जाम साल में दो बार जून और दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरा होता है. दूसरे लेवल और तीसरे लेवल का एग्जाम साल में एक बार ही होता है और ये सामन्यतः जून के प्रथम सप्ताह में होते हैं. प्रत्येक परीक्षा की अवधि 2-3 घंटे की होती है. लेवल 1 में 240 मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चंस पूछे जाते हैं. लेवल 2 में 120 मल्टीपल च्वाइस क्वेश्चंस पूछे जाते हैं और इन्हें 6 आइटम सेट के रूप में व्यवस्थित किया गया होता है. साथ ही प्रत्येक सेट में तथ्यों का अपना एक अलग विग्नेट होता है.प्रश्नों का सही उत्तर देने के लिए उम्मीदवार को रेफरेंस के रूप में निर्धारित विग्नेट का प्रयोग करना चाहिए. लेवल 3 में क्रिएटिव रिएक्शन,एस्से टाइप के प्रश्न तथा लेवल 2 से मिलते जुलते कुछ प्रश्नों का सेट होता है.

इस परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का कोई प्रावधान नहीं है. एग्जामिनेशन सेंटर पर केवल दो तरह के कैलकुलेटर  हेवलेट पैकार्ड (12 सी एचपी 12 सी प्लैटिनम सहित) और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स बीए II प्लस (बीए II प्लस प्रोफेशनल समेत) ले जाने की अनुमति छात्रों को होती है. इस परीक्षा में जो उम्मीदवार सफल होते हैं उन्हें अंत में एक स्कोर रिपोर्ट प्राप्त होता है. हालांकि यह रिपोर्ट कई मामलों में बहुत अनिश्चित सा होता है.प्रत्येक परीक्षा के बाद न्यूनतम पासिंग स्कोर गवर्नर्स बोर्ड द्वारा निर्धारित किया जाता है. गवर्नर्स बोर्ड मानक सेटिंग प्रक्रिया और स्वतंत्र साइकोलोजिस्ट से प्राप्त इनपुट के परिणामों की समीक्षा करता है.

मानक सेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो परीक्षा के उत्तीर्ण स्कोर को परिभाषित करती है. CFA परीक्षा में संशोधित एंगऑफ विधि का उपयोग किया जाता है जो सर्टिफिकेशन और लाइसेंस परीक्षाओं के मानकों को निर्धारित करने के लिए एक सामान्य रूप से उपयोग किया जाने वाला दृष्टिकोण है. सब्जेक्ट एक्सपर्ट परीक्षा की समीक्षा करते हैं और केवल योग्य उम्मीदवार को न्यूनतम पासिंग स्कोर प्रदान करते है.न्यूनतम पासिंग स्कोर एक रिपोर्ट में गवर्नर्स बोर्ड को प्रस्तुत किए जाते हैं.

CFA प्रोग्राम के तीनो लेवल्स का सिलेबस

लेवल I : स्टडी प्रोग्राम टूल्स और इनपुट पर जोर देता है और इसमें परिसंपत्ति मूल्यांकन, वित्तीय रिपोर्टिंग और विश्लेषण तथा पोर्टफोलियो मैनेजमेंट टेक्नीक्स के विषय में वृहद् स्तर पर पढ़ाया जाता है.

लेवल II : स्टडी प्रोग्राम परिसंपत्ति मूल्यांकन पर जोर देता है  और परिसंपत्ति मूल्यांकन में उपकरण और इनपुट (अर्थशास्त्र, वित्तीय रिपोर्टिंग और विश्लेषण तथा मात्रात्मक तरीकों सहित) के एप्लिकेशंस को शामिल करता है.

लेवल III : स्टडी प्रोग्राम पोर्टफोलियो मैनेजमेंट पर जोर देता है तथा इसमें इक्विटी, निश्चित आय और व्यक्तियों एवं  संस्थानों के लिए इन्वेस्टमेंट के मैनेजमेंट में टूल्स, इनपुट और परिसंपत्ति मूल्यांकन मॉडल आदि को लागू करने के लिए जरुरी स्ट्रेटेजी का विवरण शामिल है.

इंडियन स्टूडेंट्स के लिए CFA की डिग्री लेने के बाद प्रमुख करियर्स/ जॉब प्रोफाइल्स

चीफ-लेवल एग्जीक्यूटिव

दुनिया के सभी CFA चार्टरधारकों में से लगभग 7% ने इसे सी-सूट में परिवर्तित कर दिया है.चीफ लेवल एग्जीक्यूटिव किसी कंपनी के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लोग होते हैं. ये बहुत बड़े बड़े फैसले लेते हैं तथा कंपनी को चलाने में इनकी मुख्य भूमिका होती है. प्रोफेशनल जगत में यह टॉप लेवल का पद है. कंपनी या इंस्टीट्यूट के इन हाई प्रोफाइल लोगों की रिसपोन्सबिलिटी भी बहुत अधिक होती है और इनका काम भी ऑपरेशन के हिसाब से भिन्न भिन्न होता है.

फाइनेंशियल एडवाइजर

सभी CFA डिग्री धारकों में से लगभग 5% फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में कार्य करते हैं. ऐसे प्रोफेशनल आमतौर पर इन्वेस्टमेंट, टैक्सेशन और इंश्योरेन्स से जुड़े निर्णय लेने में ग्राहकों की सहायता करते हैं. वे ग्राहकों को शॉर्ट टर्म और लौंग टर्म वित्तीय लक्ष्यों के साथ-साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय योजना बनाने में सहायता करते हैं.

रिलेशनशिप मैनेजर

किसी भी बिजनेस को सही तरीके से चलाने में रिलेशनशिप मैनेजर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है.CFA की डिग्री लेनेवालों में से लगभग 5% किसी कंपनी को महत्वपूर्ण बिजनेस रिलेशन बनाये रखने में मदद करते हैं. रिलेशनशिप मैनेजर का मुख्य कार्य अपनी वर्तमान स्थिति को कायम रखते हुए एनालिसिस करने में सक्रिय भूमिका निभाने के साथ-साथ बिजनेस से जुडी अस्थिरता को कम करना है.

कंसल्टेंट

आजकल  कंपनियों में सही निर्णय लेने के लिए बिजनेस में एक्सपर्ट कंसल्टेंट की बहुत अधिक मांग है. कंपनियां बिजनेस का मूल्यांकन करने, आर्थिक पूर्वानुमान और विश्लेषण करने, शेयरधारक के मूल्य को बढ़ाने के अवसरों की पहचान करने आदि कार्यों के लिए कंसल्टेंट हायर करती हैं. आज की तारीख में लगभग 6 प्रतिशत CFA कंसल्टेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं.

पोर्टफोलियो मैनेजर

CFA की डिग्री हासिल करने या उसके तीनों लेवल को पास करने के बाद अधिकांश उम्मीदवार पोर्टफोलियो मैनेजर के रूप में कार्य कर सकते हैं. इन्हें आमतौर पर फंड इंचार्ज के रूप में जाना जाता है. ये अपना ज्यादतर समय एनालिस्ट, रिसर्चर तथा क्लाइंट के साथ बिताते हुए करेंट इंडस्ट्री अपडेट्स तथा मार्केट और बिजनेस न्यूज की जानकारी रखते हैं. मार्केट की फ़्लक्चुएशन को देखते हुए ये प्रोपर्टी को बेचने तथा खरीदने का कार्य करते हैं.

रिसर्च एनालिस्ट

रिसर्च एनालिस्ट बिजनेस वर्ल्ड में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लगभग 15 प्रतिशत CFA डिग्री धारक रिसर्च एनालिस्ट का काम करते हैं. रिसर्च एनालिस्ट डेटा की एनालिसिस कर मार्केट की स्थिति तथा उसके फ्यूचर के विषय में बताते हैं तथा निवेशकों को राय देते हैं.

रिस्क मैनेजर

किसी भी बिजनेस में रिस्क एक मेन फैक्टर है.प्रत्येक सफल कंपनीयों को कुछ हद तक रिस्क उठाना ही पड़ता है. इसलिए अधिकांश कम्पनियां अपने लेनदेन और वित्तीय मामलों के रिस्क को समझने, उसे सॉल्व करने अथवा मैनेज करने के लिए रिस्क मैनेजर्स को हायर करती है. लगभग 5 प्रतिशत CFA रिस्क मैनेजर के रूप में कार्य कर रहे हैं.

कॉर्पोरेट फाइनेंशियल एनालिस्ट

अधिकतर कंपनिया रिसर्च एनालिस्ट अथवा कॉर्पोरेट फाइनेंशियल  एनालिस्ट को हायर करती है. इनमें मुख्य अंतर यह होता है कि रिसर्च एनालिस्ट सिर्फ डेटा के विश्लेषण के आधार पर ही कोई निर्णय देता है जबकि कॉर्पोरेट फाइनेंशियल  एनालिस्ट को डेटा से परे जाकर भी कंपनी के हित के लिए निर्णय लेने की सिफारिश करनी होती है. ये मुख्य रूप से रिसर्च करते हैं और मैक्रो और माइक्रो अर्थशास्त्र पर विचार करते हैं.इसके अतिरिक्त ये इन्वेस्टमेंट निर्णयों के संबंध में महत्वपूर्ण कंसल्टेंट्स पर भरोसा करते हैं. वैश्विक स्तर पर  5% CFA कॉर्पोरेट फाइनेंशियल  एनालिस्ट के रुप में काम करते हैं.

अमेरिका और चीन के बाद भारत CFA के लिए तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है. पिछले वर्ष भारत में CFA प्रोग्राम के लिए लगभग 21,000 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. भारत पूरी दुनिया में कैपिटल मार्केट्स इंडस्ट्री के लिए बीपीओ और केपीओ का केंद्र बना हुआ है. इसलिए यहां CFA जैसे एजुकेशन प्रोगाम्स के लिए बहुत अच्छी संभावनाएं हैं.

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