भारतीय वायु सेना संभावनाओं से भरे कैरियर के साथ एक उत्कृष्ट वेतन प्रदान करता है। राष्ट्रवाद, देशभक्ति और सम्मान के अलावा IAF को अपने कर्मचारियों को अच्छे वेतन और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए जाना जाता है। वायु सेना की नौकरी चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन यह उम्दा वेतन भी प्रदान करती है।
भारतीय वायु सेना के अधिकारियों का वेतन और भत्ते
भारतीय वायु सेना के अधिकारी वायुसेना से कमीशन मिलने से पहले ही कमाना शुरू कर देते हैं। अपने प्रशिक्षण के अंतिम वर्ष के दौरान, वे 21,000 रु प्रति माह का स्टाइपेंड प्राप्त करना शुरू कर देंगे। जब उन्हें कमीशन मिल जाता है तो उनका वेतन ब्रेक-अप निम्नानुसार होता है:
- 15,600-39,100 रु के पे बैंड में भुगतान (फ्लाइंग, तकनीकी, ग्राउंड ड्यूटी के लिए समान)
- ग्रेड पे 5,400 रु
- 6000 रु मिलिट्री सर्विस पे
- महंगाई भत्ता @ 107 प्रतिशत 28,890 रु
- किट मेंटेनेंस भत्ता 500 रु
- परिवहन भत्ता 3,200 रु + DA (प्रमुख शहरों में) या 1,600 रु + DA (अन्य शहरों में)
- फ्लाइंग भत्ता (फ्लाइंग ब्रांच के लिए प्रति माह 11,250 रु)
- तकनीकी भत्ता (तकनीकी शाखा के लिए 2,500 रु प्रति माह)
Airmen Group X and Y: Eligibility, Exam Pattern and Syllabus
भारतीय वायुसेना के कर्मचारियों को अतिरिक्त लाभ:
- मुफ्त या कम शुल्क पर सुसज्जित आवास, बिजली, पानी, घरेलू नौकर आदि
- छुट्टी के लिए LTC योजना
- मुफ्त अस्पताल, कैंटीन जैसे लाभ
- आजीवन पेंशन (यदि सेवा कम से कम 20 वर्ष है)
भारतीय वायुसेना के अधिकारियों का मासिक पैकेज निम्नलिखित होगा:
फ्लाइंग ब्रांच: 74,264 रु
तकनीकी शाखा: 65,514 रु
ग्राउंड ड्यूटी शाखा: 63,014 रु
AFCAT 2019: Eligibility, Exam Pattern and Syllabus
भारतीय वायु सेना में पदोन्नति
भारतीय वायुसेना में पहले तीन रैंक के लिए पदोन्नति टाइमस्केल पर आधारित होती है। इसके बाद, पदोन्नति पदों की उपलब्धता और चयन के आधार पर होती है। इस चरण के बाद पदोन्नति पिरामिड संरचना के कारण मुश्किल हो जाती है। इस उद्देश्य के लिए टाइम स्केल (TS) पदोन्नति मौजूद है। यहां वायु सेना में पदोन्नति की नीति का विवरण दिया गया है:
टाइम स्केल (TS) पदोन्नति
(a) वायु सेना वर्तमान में कमीशन प्राप्त अधिकारियों की फ्लाइंग ऑफिसर (लेफ्टिनेंट) के रूप में भर्ती करती है। टेक्निकल ऑफिसर, जो इंजीनियर हैं, उन्हें भारतीय वायुसेना के अन्य अधिकारियों की तुलना में वेतन और पदोन्नति में 2 साल की वरिष्ठता दी जाती है। इसका कारण तकनीकी क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रतिभा को आकर्षित करना है।
(b) 3 वर्ष तक फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में कार्य करने के बाद अधिकारियों को फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में पदोन्नत किया जाता है। हालाँकि अधिकारियों को एक विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है जिसे पदोन्नति परीक्षा 'B' कहा जाता है। इस परीक्षा में सामान्य ज्ञान, स्टाफ ड्यूटी और पेशे से संबंधित विषय के पेपर होते हैं। इस परीक्षा को पास करने के लिए एक अधिकारी को कम से कम 50% अंक चाहिए।
(c) सेवा के कुल छह साल पूरे होने पर IAF के अधिकारी को स्क्वाड्रन लीडर का पद दिया जाता है।
(d) पदोन्नति में और ऊपर जाने के लिए सभी अधिकारियों को पदोन्नति परीक्षा ‘C’ पास करनी पड़ती है। इस परीक्षा में करंट अफेयर्स, एयर पावर, एयर फोर्स लॉ और जनरल सर्विस ट्रेनिंग के पेपर शामिल होते हैं। अधिकारी 12 साल की सेवा के बाद विंग कमांडर बन जाता है।
वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर पदोन्नति
विंग कमांडर के पद के ऊपर पदोन्नति वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर होती है। फ्लाइंग ब्रांच का अधिकारी 16 साल की सेवा पूरी करने के बाद ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नति के लिए योग्य हो जाता है।
ग्राउंड ड्यूटी ऑफिसर, जो फ्लाइंग ब्रांच के नहीं हैं, को 18 साल की सेवा के बाद ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नति के लिए योग्य हो जाता है। वह प्रमोशन बोर्ड नंबर 1 के सामने पेश होंगे, जिसकी अध्यक्षता प्रभारी कार्मिक अधिकारी (AOP) द्वारा की जाती है।
एयर कमोडोर और एयर वाइस मार्शल के पद के लिए पदोन्नति प्रमोशन बोर्ड नंबर 2 के अंतर्गत आता है जिसमें उप प्रमुख पीठासीन अधिकारी होता है। पदोन्नति बोर्ड (1 और 2) की सभी सिफारिशें रक्षा मंत्रालय के अनुमोदन के लिए चली जाती हैं, जो पदोन्नति के सभी मामलों में अंतिम निर्णय लेती है।
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