उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के मामले में चल रही गतिरोधों के बीच सरकार ने तय किया है कि असमायोजित शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपये मानदेय ही अभी दी जाएगी. मानदेय की धनराशि को लेकर चल रहे मामले पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री लेंगे तबतक उन्हें पुराने मानदेय पर ही काम करना होगा.
प्रदेश में लगभग 1.37 लाख शिक्षामित्रों को लेकर पिछले दिनों हुए महत्वपूर्ण बैठक में उक्त निर्णय लिया गया. बैठक में तय हुआ कि शिक्षामित्र टीईटी पास करने तक अपने मूल पद पर काम करेंगे.
ताजा घटनाक्रम में सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में उसका सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई इरादा नहीं है हालाँकि शिक्षामित्रों के पास यह विकल्प है और वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को एक महत्वपूर्ण फैसले में को शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया. हालाँकि इस संबंध में कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि यह सरकार पर निर्भर है कि यदि वह चाहे तो इनके टीईटी पास करने के बाद इन्हें लगातार दो भर्तियों में मौका दे सकती है. कोर्ट के फैसले से नाराज शिक्षामित्रों ने प्रदेशव्यापी धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था और इस संबंध में शिक्षा मित्रों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मिल चुका है.
इस बीच सरकार ने स्पष्ट किया है कि शिक्षामित्र अपने तैनाती के स्थान पर काम कर सकते हैं या फिर चाहे तो अपने मूल स्कूल में जाने के लिए आवेदन कर सकते हैं. सरकार नवंबर के पहले हफ्ते में अध्यापक पात्रता परीक्षा कराने के लिए भी तैयार है. इसके साथ ही अनुभव के आधार पर वेटेज देने के फैसले पर भी सहमति हो चुकी है. अब शिक्षामित्रो को उनके अनुभव के वेटेज के अनुसार प्रतिवर्ष सेवा के लिए ढाई अंक दिए जाएंगे और अधिकतम 25 अंक दिए जा सकेंगे.
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