“महिला अपने आप में एक पूर्ण व्यक्तित्व होती है। उसके भीतर जन्म देने, पोषण करने और परिवर्तन लाने की शक्ति होती है।” ― डायने मेरिचिल्ड
भारत में महिला IAS अधिकारियों की तेजी से बढ़ती संख्या देश के विकास में महिलाओं ने किस प्रकार बड़े पैमाने पर योगदान किया है, का जीवंत उदाहरण है। जब बात देश की अर्थव्यवस्था में योगदान की हो रही हो तो भारत में महिलाएं अक्सर दूसरे दर्जे की मानी जाती हैं। लेकिन इसके विपरीत देश के सबसे कठिन परीक्षा यानि सिविल सेवा परीक्षा में अक्सर महिला उम्मीदवार पुरुष उम्मीदवारों की चमक फीकी करती दिखती हैं। बीते 3 वर्ष और उससे भी अधिक समय से IAS परीक्षा में अव्वल आने वालों की सूची में महिलाएं लगातार हावी रही हैं और उन्होंने हमारे देश की सैंकडों युवा लड़कियों को करिअर के तौर पर सिविल सेवा चुनने को प्रेरित किया है।
सिविल सेवा परीक्षा की शीर्ष नौकरियां
IAS अधिकारी की जॉब प्रोफाइल बेहद चुनौतीपूर्ण और क्रियात्मक होता है, इसमें नौकरी के प्रति बहुत समर्पण और प्रतिबद्धता चाहिए होती है लेकिन ये महिलाएं मजबूत इच्छाशक्ति और तेज दिमाग के साथ साहसी हैं। यहां हम भारत में मौजूद शीर्ष महिला IAS अधिकारियों को प्रस्तुत कर रहे हैं जो हमारे समाज की सबसे बड़े वंचित वर्ग को प्रेरित करती हैं।
अरुणा सुंदरराजन
अरुणा सुंदरराजन केरल कैडर की IAS अधिकारी हैं जिन्होंने केरल में ई– गवर्नेंस के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फोर्ब्स पत्रिका ने उन्हें 'एक व्यवसायी की तरह सोचने वाली IAS अधिकारी' कहा था, जो बिल्कुल सही है।
केरल में बतौर आईटी सचिव अपने कार्यकाल के लिए वे जानी जाती हैं। जब बात ई– गवर्नेंस की हो तो केरल को उत्कृष्ट राज्य के तौर पर जाना जाता हैं। लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि इसे प्राप्त करने के लिए हमारे अधिकारियों ने कितनी कड़ी मेहनत की है।
उन्होंने केरल सरकार के महिला–उन्मुख, समुदाय आधारित, गरीबी उन्मूलन परियोजना – कदंबश्री परियोजना की भी अध्यक्षता की है और अब यह परियोजना कामकाजी वर्ग की महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकरण का प्रसिद्ध उदाहरण बन गयी है।
IAS अधिकारी के लिए ट्रांसफर और पोस्टिंग पॉलिसी
पूनम मालकोंदेया
पूनम माल्कोंदेया 1988 बैच की IAS अधिकारी हैं और ये एक ईमानदार एवं समर्पित अधिकारी के तौर पर जानी जाती हैं। ये बेहद साधारण और सशक्त महिला हैं जिन्हें हाल ही में हुए इंडिया टुडे सर्वे में भारत की तीसरी सबसे ईमानदार IAS अधिकारी होने का सम्मान मिला है।
ये मुख्य रूप से मोनसेंटो बीज परियोजना के लिए जानी जाती हैं जिसमें निगम पर किसानों को बीटी कॉटन के बीजों की आपूर्ति करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कारण था पिछली फसल में कंपनी के बीजों की विफलता और राज्य के कृषि आयुक्त द्वारा किसानों के लिए निर्धारित मुआवजे के भुगतान से मुकर जाना।
संभव हैं वे अपना प्रोफाइल कम रखें लेकिन जब बात काम की आती है तो उनका प्रोफाइल बहुत उच्च है। उन्होंने शिक्षा, समाज कल्याण, परिवहन और नागरिक आपूर्ति के क्षेत्र में काम किया है। वे प्रत्येक विभाग में दक्षता के लिए भी जानी जाती हैं।
शांता शीला नायर
ये एक उत्कृष्ट प्रशासक हैं। इन्हें ऐसे प्रशासक के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने जल निकासी टैंक और समर्पित पाइपों के निर्माण पर जोर दिया और ऐसा न करने पर लाइंसेस रद्द कर दिया। इन्होंने वर्षाजल संचयन को अनिवार्य कर 2000 के दशक के आरंभिक वर्षों में चेन्नई को पानी की समस्या से मुक्त कराया था।
जिन गांवों में उन्होंने काम किया वहां के लोगों ने अपनी बेटियों का नाम उनके नाम पर रख कर उन्हें सम्मान दिया और वे उम्मीद करते हैं कि उनकी बेटियां भी महान शांता शीला नायर के जैसा काम करेंगीं।
मुग्धा सिन्हा
मुग्धा सिन्हा राजस्थान कैडर की IAS अधिकारी हैं। वे झुनझुनूं की पहली महिला कलेक्टर हैं और स्थानीय माफिया से टक्कर लेने के कारण उनका तबादला कर दिया गया था।
हाल में हुए इंडिया टुडे सर्वे में उन्हें भारत की चौथी सबसे ईमानदार IAS अधिकारी का सम्मान दिया गया था। उन्हें गंगानगर के कलेक्टर के तौर पर नौकरी ज्वाइन करनी थी लेकिन उन्होंने यह पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे जिले में सिर्फ कुछ चुनींदा लोगों के लिए काम कने नहीं आईं हैं बल्कि वे आम जनता के लिए काम करने आईं हैं।
स्मिता सभरवाल
स्मिता सभरवाल मुख्यमंत्री कार्यालय में नियुक्त होने वाली पहली महिला IAS अधिकारी हैं जो वास्तव में एक प्रेरणा की बात है। स्मिता सभरवाल इस बात में यकीन रखती हैं कि सभी को, खासकर आज के युवाओं को, जो इस नौकरी के माध्यम से काफी कुछ कर सकते हैं, को, समाज के लिए कुछ– न– कुछ जरूर करना चाहिए।
वारंगल में नगर निगम आयुक्त के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने "फंड योर सिटी" परियोजना चलाई थी जिसके लिए उन्हें जाना जाता है। इनके सहयोग से इस जिले में बड़ी संख्या में यातायात जंक्शन, फुट– ओवर ब्रिज, बस स्टॉप, पार्क जैसे सार्वजनिक सुविधाएं पब्लिक– प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) द्वारा बनाए गए।
स्मिता सभरवाल बहुत ही प्रिय यूथ आइकन और कई महिलाओं के लिए सच्ची प्रेरणा हैं। स्मिता ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और बुनियादी शिक्षा को बहुत अधिक प्राथमिकता दी है, जिसे सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार के जरिये उनके कड़ी मेहनत के रूप में देखा जा सकता है। स्काइप कॉलों पर सरकारी डॉक्टरों की वे निगरानी भी करती हैं ।
भारत के 10 सर्वश्रेष्ठ IAS/IPS अधिकारी
दुर्गा शक्ति नागपाल
वर्ष 2009 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में दुर्गा नागपाल ने 20वीं रैंक हासिल की थी जिसके बाद उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) ज्वाइन किया। उन्होंने IAS के पंजाब कैडर से शुरुआत की और जून 2011 में मोहाली प्रशासन में शामिल हुईं। रेत और भूमि माफियाओं के खिलाफ किए गए काम के लिए वे जानी जाती हैं। पंजाब में बतौर प्रशिक्षु IAS अधिकारी के तौर पर उन्होंने मोहाली में एक भूमि घोटाले का खुलासा किया था।
अगस्त 2012 में उनकी उत्तर प्रदेश कैडर में सदर, नोएडा के सब– डिविजनल मैजिस्ट्रेट (एसडीएम) के तौर पर नियुक्त की गईं। यमुना और हिंडन नदी के किनारों पर रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए विशेष जांच टीम गठित कर उत्तर प्रदेश में "रेत माफिया" के खिलाफ काम करने के कारण उनके खिलाफ कार्यवाही की गई।
बाद में अवैध रेत– खनन के खिलाफ अभियान चलाने के कारण उन पर निशाना साधा गया। यू।पी। सरकार ने उनको निलंबित कर दिया लेकिन विपक्ष की जबरदस्त आलोचना के बाद उनका निलंबन वापस ले लिया गया।
निष्कर्ष
ऐसा कहा जाता है कि विश्व युद्ध तक यह पुरुषों की दुनिया थी लेकिन जब पुरुष युद्ध लड़ने में व्यस्त थे तब अपने– अपने देशों की अर्थव्यवस्था के लिए सिर्फ महिलाओं ने ही काम किया था। इस महिला दिवस पर हम कड़ी मेहनत करने वाली महिला IAS अधिकारियों के साथ सभी युवाओं को इस बारे में जानकारी दे रहे हैं जो हमारे देश के उज्जवल भविष्य के लिए दिन और रात काम कर रहे हैं।
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