यहाँ हम आपको UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 18th जीवन की प्रक्रियाएँ (activities of life or processes) के 5th पार्ट का स्टडी नोट्स उपलब्ध कर रहें हैं| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
1. रुधिर की संरचना
2. प्लाज्मा
3. कार्बनिक पदार्थ
4.अकार्बनिक पदार्थ
5. रुधिरं कणिकाएँ या रूधिराणु
6. मानव रुधिर कणिकाएं
7. श्वेत रुधिराणु या ल्यूकोसरइटस
8. रुधिर बिम्बराणु या रुधिर प्लेटलेटस
9. रुधिर के कार्य
10. आक्सीजन का परिवहन
रुधिर की संरचना (Structure of Blood) -
रुधिर जल से थोड़ा अधिक श्यान (viscous), हलका क्षारीय (pH7.3 से 7.4 के बीच) तथा स्वाद में थोड़ा नमकीन होता है। एक स्वस्थ मनुष्य में रुधिर शरीर के कुल भार का 7% से 8% होता है। रुधिर की औसत मात्रा 5 लीटर होती है। रुधिर के दो मुख्य घटक होते है-
(1) प्लाज्मा (Plasma),
(2) रुधिर कणिकाएं (Blood cells) या रूधिराणु (Blood corpuscles)।
(1) प्लाज्मा (Plasma) - यह हल्के पीले रंग का, हल्का क्षारीय एवं निर्जीव तरल है। यह रूधिर का लगभग 55% भाग बनाता है। प्लाज्मा में 90% जल; 8 से 9% कार्बनिक पदार्थ तथा लगभग 1% अकार्बनिक पदार्थ होते है।
(i) कार्बनिक पदार्थ (Organic sybstances) - रुधिर प्लाज्या में लगभग 7% प्रोटीन होती है। प्रोटीन्स मुख्यत: एलबुमिन (albumin), ग्लोबुलिनं (globulin), प्रोथ्रोम्बिंन (prothrombin) फाइब्रिनोजन (fibrinogen) होती है। इनके अतिरिक्त हार्मोन्स, विटामिनस, श्वसन गैसें, हिपैरिन (heparin), यूरिया, अमोनिया, ग्लूकोस, ऐमीनों अम्ल, वसा अम्ल, गिलसरॉल, प्रतिरक्षी (antibodies) आदि होते हैं। प्रोथ्रोम्बिन तथा फाइब्रिनोजन रुधिर स्कन्दन (blood clotting) में सहायता करते है। हिपैरिन प्रतिस्कन्दक (anticoagulant) है।
(ब) अकार्बनिक पदार्थ (Inorganic substances) - अकार्बनिक पदार्थों में सोडियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम तथा पोटेशियम के फॉस्फेट, बाइकाबोंनेट, सल्फेट तथा क्लोराइडस आदि पाए जाते हैं।
2. रुधिरं कणिकाएँ या रूधिराणु (Blood cells or Blood corpuscles) - ये रुधिर का 45% भाग बनाते हैं। रूधिराणु तीन प्रकार के होते हैं। इनमें लगभग 99% लाल रूधिराणु है। शेष श्वेत रूधिराणु तथा रुधिर प्लेटलेट्स होती है।
(अ) मानव रुधिर कणिकाएं (Red Blood Corpuscles or Erythrocytes = RBC s) - मानव में लाल रूधिराणु 7.5-8μ व्यास तथा 1-2μ मोटाई के होते है। पुरुषों में इनकी संख्या लगभग 50 से 55 लाख, किन्तु सित्रयों में लगभग 45 से 50 लाख प्रति घन मिमी होती है। ये गोलाकार एवं उभयावतल (biconcave) होती है, निर्माण के समय इनमें केन्द्रक (nucleus) होता है, किन्तु बाद में लुप्त हो जता है, इसीलिए मनुष्य के लाल रूधिराणु केन्द्रकविहीन (non-nucleated) होते है। लाल रुधिराणुओं में हीमोग्लोबिन (haemoglobin) प्रोटीन होती है। हीमोग्लोबिन श्वसन वर्णक है। यह आक्सीजन वाहक (oxygen carrier) का कार्य करता है!
(ii) श्वेत रुधिराणु या ल्यूकोसरइटस (White Blood Corpuscles or Leucocyte = WBCs) - इनकी संख्या 6,000 से 10,000 प्रति घन मिमी होती है। ये केन्द्रक, अमीबीय (अमिबीय) (amoeboid) तथा रंगहीन होते हैं। श्वेत रूधिराणु दो प्रकार के होते हैं - कणिकामय (granulocytes) तथा कणिकारहित (agranulocytes)। श्वेत रूधिराणु शरीर की सुरक्षा से सम्बन्धित होते हैं।
(a) कणिकामय (Granulocytes) - इनका कोशिकाद्रव्य कणिकामय होता है। इनका केन्द्रक पालियुक्त (lobed) होता हैं।
(b) कणिकारहित (agranulocytes) - इनका कोशिकाद्रव्य कणिकारहित होता है। इनका केन्द्रक अपेक्षाकृत बड़ा व घोडे की नाल के आकार का (horse shoe-shaped) होता है। ये दो प्रकार की होती हैं-
(क) लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) - ये छोटे आकार के श्वेत रूधिराणु हैं। ये कुल श्वेत रुधिराणुओ का लगभग 20-30% होती हैं। इनका कार्य प्रतिरक्षी (antibodies) का निर्माण करके शरीर की सुरक्षा करना है (चित्र 18.6D)।
(ख) मोनोसाइट्स (Monocytes) - ये बडे आकार की कोशिकाएँ है, जो भक्षकाणु क्रिया (phagocytosis) द्वारा शरीर की सुरक्षा करती हैं। ये कुल श्वेत रुधिराणुओं का लगभग 4-10% होती है|
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-I
(स) रुधिर बिम्बराणु या रुधिर प्लेटलेटस (Blood plateletes) - इनकी संख्या 2 राख से 5 लाख प्रति घन मिमी तक होती हैं। ये .उभयोतल (biconvex), तश्तरीनुमा होते हैं। ये रुधिर स्कन्दन में सहायक होते हैं।
रुधिर के कार्य (function of blood) -
रुधिर के प्रमुख कार्य निम्नलिखित है-
आक्सीजन का परिवहन (Transportation of Oxygen) - रुधिर आंक्सीजन का परिवहन करता हैं। लाल रुधिर कणिकाओं का हीमोग्लोबिन (haemoglobin) आक्सीजन से क्रिया करके आक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) बनाता है। ऊतकों में पहुँचने पर आक्सीहीमोग्लोबिन, आँक्सीजन तथा हीमोग्लोबिन में टूट जाता हैं। आंक्सीज़न ऊतकों द्वारा ग्रहण कर ली जाती है।
2. पोषक पदार्थों का परिवहन (Transportation of Nutrients) - आंत्र से अवशोषित भोज्य पदार्थ रुधिर प्लाज्मा द्वारा ऊतकों में पहुंचाए जाते हैं।
3. उत्सर्जी पदार्थो का परिवहन (Transportation of Excretory Products) - शरीर में उपापचयी क्रियाओं के कारण यूरिया आदि उत्सर्जी पदार्थ बनते हैं। इन्हें रुधिर उत्सर्जी अंगों (वृक्क) में पहुंचा देता है। CO2 प्लाज्मा के द्वारा श्वसनांग तक पहुँचाई जाती है।
4. शरीर ताप का नियन्त्रण एवं नियमन (Transport of Other Substances) - रुधिर शरीर के सभी भागो में ताप को समान बनाए रखने का कार्य करता हैं।
5. अन्य पदार्थों का परिवहन (Transport of Other substances) - रुधिर हार्मोन्स, एन्जाइम्स, एण्टीबाडीज आदि का परिवहन करता है।
6. रोगों से बचाव व घाव का भरना (Protection from Diseases and Healing of Wound) - श्वेत रुधिर कणिकाएँ रोगाणुओं को नष्ट करती हैं। क्षतिग्रस्त कोशिकाएँ मवाद (pus) के रूप में घाव से निकल जाती है। रुधिर घाव के भरने में सहायता करता है। रुधिर अनेक प्रकार के विपैले पदार्थों (toxic substances) के प्रति प्रतिविष (antitoxins) बनाकर इनके हानिकारक प्रभावों से शरीर की सुरक्षा करता है।
7. समन्वयन करना (Coordination) - रुधिर का प्रमुख कार्य विभिन्न अगो के बीच समन्वय स्थापित करना है।
8. थक्का बनाना (Blood Clotting) - चोट लगने पर रुधिर में स्वमेव थक्का बनने की विलक्षण क्षमता है जिससे रुधिर का बहना रुक जाता है और सामान्यतया रुधिर की हानि नहीं होती।
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