UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-I

यहाँ हम आपको UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 18th जीवन की प्रक्रियाएँ (activities of life or processes) के 1st पार्ट का स्टडी नोट्स उपलब्ध कर रहें हैं| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है|

Jul 31, 2017, 10:37 IST

आज हम आपको UP Board कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय 18; जीवन की प्रक्रियाएँ (activities of life or processes) के 1st पार्ट का स्टडी नोट्स उपलब्ध करा रहें हैं| यहाँ शोर्ट नोट्स उपलब्ध करने का एक मात्र उद्देश्य छात्रों को पूर्ण रूप से चैप्टर के सभी बिन्दुओं को आसान तरीके से समझाना है| इसलिए इस नोट्स में सभी टॉपिक को बड़े ही सरल तरीके से समझाया गया है और साथ ही साथ सभी टॉपिक के मुख्य बिन्दुओं पर समान रूप से प्रकाश डाला गया है| यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:

1. पोषण

2. पोषण के आधार पर जीवधारियों का वर्गीकरण

3. स्वपोषी

4. परपोषी

5. मृतोपजीवी

6. परजीवी

7. प्राणिसमभोजी

पोषण (Nutrition) :

जीवधारिन्हें को जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है ऊर्जा भोज्य पदार्थों के आँक्सीकरण से प्राप्त होती है। जीवद्रव्य निर्माण के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी भोजन से प्राप्त होते हैं।  जीवधारियों द्वारा ग्रहण किया हुआ भोजन सीधे शरीर के उपयोग में नहीं आ सकता; अत: पाचन, अवशोषण तथा स्वागीकरण के उपरान्त पचा हुआ जान कोशिकाओं के जीवद्रव्य में विलीन हो जाता है।  इस सप्पूर्ण प्रक्रिया को पोषण कहते हैं।

पोषण के आधार पर जीवधारियों का वर्गीकरण (Classification of Living on the basis of Nutrition) :

सभी जीवधारियों को भोजन की आवश्यकता होती है। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते है अत: हरे पौधों को उत्पादक (producers) या स्वपोषी (autotrophs) कहते हैं। समस्त जन्तु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में अपना भोजन पौधों से प्राप्त करते है, अत: इनको उपभोक्ता (cosumers) या परपोषी कहते हैं!

समस्त जीवधारियों को मुख्यत: दो समूहों में बाँट लेते हैं-

 

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1 स्वपोषी(autotrophs) :

जो जीवधारी अपना भोजन स्वय बना लेते है स्वंपोषी कहलाते है। हरे पौधे स्वपोषी होते हैं। ये कार्बन डाइआक्साइड तथा जल से पर्णहरिम तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपने कार्बनिक भोज्य पदार्था का निर्माण कर लेते हैं। प्रकाश संश्लेषणा प्रक्रिया में ग्लूकोस बनता है और आक्सीजन मुक्त होती है। मुक्त O2 वातावरण को शुद्ध करती है।

notes on nutrition

प्रकाश संश्लेषण के फलस्वरूप बना ग्लूकोस कार्बोहाइड्रेट्स, वसा प्रोटीन्स, विटामिन्स आदि में बदलकर पौधों के विभिन्न भागो में संचित हो जाता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया के समय प्रकाश ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा के रूप में कार्बनिक पदार्थों में संचित हो जाती है। श्वसन प्रक्रिया के समय रासायनिक ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होकर जैविक प्रक्रियाओं के काम आती है युग्लीना (Euglena) में पर्णहरिम पाया जाता है। यह एकमात्र जन्तु है जो प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन स्वयं बना लेता है  और रात्रि में प्राणिसमभोजी (holozoic) विधि से भोजन प्राप्त करता है।

कुछ प्रकाश संश्लेषी जीवाणुओं (Photosynthetic bacteria) में पर्णहरिम के समान प्रकाश संश्लेषी वर्णक पाया जाता है। ये जीवाणु भोजन निर्माण के लिए जल के स्थान पर हाइड्रोजन सल्फाइड (H2O) गैस का प्रयोग करते हैं।

कुछ रसायन संश्लेषी जीवाणु रासायनिक ऊर्जा का उपयोग करके अपने लिए भोज्य पदार्थों का संश्लेषण कर लेते है, जैसे - सल्फर जीवाणु, लौह जीवाणु, हाइड्रोजन जीवाणु आदि।

activity of life notes

II. परपोषी (Heteroprophs)

ऐसे जीवधारी जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते, परपोषी (Heterotrophs) कहलाते है; जैसे  - समस्त प्राणी (युग्लीना अपवाद है) और पर्णहरिमरहित पादप| परपोषी जीवधारी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पौधों से ही भोजन प्राप्त करते हैं। शाकाहारी जन्तु अपना भोजन प्रत्यक्ष रूप से पौधों से प्राप्त करते है, मासाहारी जन्तु शाकाहारी जन्तुओं से भोजन प्राप्त करतें है। परपोषी मुख्यतया निम्नलिखित प्रकार के  होते हैं-

1. मृतोपजीवी (Saprozoic) - पर्णहरिमरहित पादप जैसे कवक, जीवाणु आदि इस श्रेणी में आते हैं। ये मृत कार्बनिक पदार्थों से अपना भोजन प्राप्त करते हैं। ये मृत जन्तु और पादप शरीर का अपघटन कर देते हैं। इसके फलस्वरूप जैव भू-रासायनिक चक्र द्वारा पोषक तत्वों का चक्रीकरण होता रहता है।

Heteroprophs notes

2. परजीवी (Parasities) - ये किसी जीवधारी (जन्तु या पादप) से भोजन प्राप्त करते हैं। भोजन प्रदान करने वाले जीवधारी को पोषद (host) कहते है; इनके कारण प्राय: पोषद में रोग होते हैं, जैसे मलेरिया परजीवी, फोताकृमि, यकृतकृमि, एस्कैरिस आदि जन्तु और अमरबेल, ओरोबैकीं, जीवाणु, कवक आदि पादप|

Parasities diagram image

3. प्राणिसमभोजी (Holozoic) – जन्तु भोज्य पदार्थों को ठोस या तरल अवस्था में ग्रहण करते हैं| प्रोतोजोआ से स्तनियों तक सभी जन्तु इस श्रेणी में आते हैं|

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