आज हम आपको UP Board कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय 17; मानव शरीर की संरचना (structure of human body) के 6th पार्ट का स्टडी नोट्स उपलब्ध करा रहें हैं| यहाँ शोर्ट नोट्स उपलब्ध करने का एक मात्र उद्देश्य छात्रों को पूर्ण रूप से चैप्टर के सभी बिन्दुओं को आसान तरीके से समझाना है| इसलिए इस नोट्स में सभी टॉपिक को बड़े ही सरल तरीके से समझाया गया है और साथ ही साथ सभी टॉपिक के मुख्य बिन्दुओं पर समान रूप से प्रकाश डाला गया है| यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
1. मनुष्य का दन्त विन्यास
2. लार ग्रन्थियाँ
3. अग्न्याशय
4. अग्न्याश्यी के प्रमुख कार्य
5. अग्न्याश्यी रस का स्त्रावण
6. हार्मोन्स का स्त्रावण
7. श्वसन तथा शवासोच्छवास में अन्तर
8. बाह्य तथा आन्तरिक श्वसन में अन्तर
मनुष्य का दन्त विन्यास (Dentition of Man) :
भोजन को काटने तथा चबाने के लिए मनुष्य के दोनों जबड़ों में दाँत पाए जाते हैं| मनुष्य के दाँत गर्तदन्ती (thecodont), दिबारदन्ती (diphyodont) तथा विषमदन्ती (heterodont) होते हैं| मनुष्य में निम्नलिखित चार प्रकार के दाँत पाए जाते हैं-
(i) कृन्तक या इन्साइजर (Incisors) – चार ऊपरी जबड़े में तथा चार निचले जबड़े में सामने की ओर स्थित होते हैं| ये कुतरने या काटने के काम आते हैं|
(ii) रदनक या कैनाइन (Canines) – इनके शिखर नुकीले होते हैं| ये भोजन को चीरने – फाड़ने का काम करते हैं| ऊपरी तथा निचले जबड़े में दो-दो रदनक होते हैं| ये मांसभक्षियों में अधिक विकसित होते हैं|
(iii) प्रचर्वणक या प्रीमोलर्स (Permolars) – इनकी संख्या ऊपरी तथा निचले जबड़े में चार-चार होती है| ये चबाने का कार्य करते हैं|
(iv) चर्वणक या मोलर्स (Molars) – ये ऊपरी तथा निचले जबड़े में छह:छह होते हैं| इनका शिखर अधिक चौड़ा व उभार (ridges) युक्त होता है| ये भी भोजन को पिसने का कार्य करते हैं|
लार ग्रन्थियाँ (Salivary glands) :
तीन जोड़ी लार ग्रन्थियाँ पृथक वाहिनियों द्वारा मुखगुहा में खुलती हैं-
(i) कर्णमूल या पैरोटिड ग्रन्थियाँ (parotid glands) – ये कर्णपल्लवों के निच स्थित होती हैं तथा स्टेंसन की नलिका (Stensen’s duct) – के द्वारा मुखगुहा में खुलती हैं|
(ii) अधोहनु या सबमैकिस्लरी ग्रन्थियाँ (Sub-maxillary glands) – ये निचले जबड़े के पश्च भाग पर स्थित होती है तथा वारटन की नलिका (Wharton’s duct) के द्वारा मुखगुहा में खुलती हैं|
(iii) अधोजिव्हा या सबलिंग्वल ग्रन्थियाँ (Sublingual glands) – ये जीभ के नीचे स्थित सबसे छोटे आकार की ग्रन्थियाँ हैं| ये रिविनस की नलिकाओं (ducts of Rivinus) द्वारा मुखगुहा में खुलती है|
अग्न्याशय (Pancreas) :
यह एक मिश्रित ग्रन्थि (mixed gland) होती है| इसका बहि: स्त्रावी भाग (exocrine part) अग्न्याशयिक रस (pancreatic juice) स्त्रावित करता है| इसका अन्त: स्त्रावी भाग (endocrine part) लैंगरहैन्स की द्विपिकाएं हैं| इनमे हार्मोन्स (hormones) स्त्रावित होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट्स उपापचय में भाग लेते हैं| संरचना के दृष्टिकोण से से यह छोटे-छोटे अनेक पिण्डकों (lobules) की बनी होती है तथा इन पिण्डकों की कोशिकाएँ घनाकार एवं स्त्रावी (secretory) होती है| पिण्डकों के मध्य स्थान-स्थान पर लैंगरहैन्स की द्विपिकाएँ समूह के रूप में पाई जाती हैं|
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : मानव शरीर की संरचना, पार्ट-III
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : मानव शरीर की संरचना, पार्ट-IV
अग्न्याश्यी के प्रमुख कार्य :
1. अग्न्याश्यी रस का स्त्रावण (Secretion of pancreatic juice) – अग्न्याशय के पिण्डकों की कोशिकाएँ अग्नयाशीय रस स्त्रावित करती हैं| इस रस में ट्रिप्सिन, काइमोट्रिप्सिन, एमाइलेज तथा लाइपेज नामक एन्जाइम्स होते हैं| ये एन्जाइम क्रमश: प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस तथा वसा के पाचन में सहायक होते हैं| अग्न्याश्यी रस एक पूर्ण पाचक रस होता है|
2. हार्मोन्स का स्त्रावण (Secretion of hormones) – अग्न्याशय की लैंगरहैन्स की द्विपिकाओं की बीटा कोशिकाओं से इन्सुलिन (insulin) तथा ऐल्फा कोशिकाओं से ग्लुकैगान (glucagon) हार्मोन्स स्त्रावित होते हैं| ये एन्जाइम्स कार्बोहाइड्रेट्स उपापचय की नियन्त्रण एवं नियमन करते हैं|
मनुष्य की आहार नाल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पाचक ग्रन्थियाँ तथा उनके कार्य :
मनुष्य की आहार नाल से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पाचक ग्रन्थियाँ यकृत और अग्नाशय हैं|
श्वसन तथा शवासोच्छवास में अन्तर (Difference between Respiration and Breathing) :
क्रo संo | श्वसन (Respiration) | श्वासोच्छवास (Breathing) | |
1.
2. | यह एक अपचयी (catabolic) क्रिया हैं जिसमें भोज्य पदार्थों का आंक्सीकरण होता है।
कार्बन डाइआँक्साइड, जलवाष्प आदि अपशिष्ट पदार्थ के रूप में बनते है, साथ ही ऊर्जा ऊष्मा के रूप में भी उत्पन्न होती है। | यह ऐसी क्रिया है जिसमे वातावरण हैं वायु (respiratory organs) तक पहुँचाई जाती है।
श्वसन के बाद शेष वायु तथा क्रिया में उत्पादित अन्य गैसीय पदार्थ, जैसे – कार्बन डाइआक्साइड, जलवाष्प आदि वातावरण में वापस चली जाती है।
|
बाह्य तथा आन्तरिक श्वसन में अन्तर (Differences between External and Internal Respiration) :
क्रo संo | बाह्य श्वसन (Exernal Respiration) | आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration |
1.
2.
3. | बाह्य श्वसन के अन्तर्गत वायुमण्डल की O2 को श्वसनागों से होते हुए ऊतकों तक तथा ऊतकों में मुक्त CO2 को पुन: वायुमण्डल तक पहुँचाया जाता है। इसमें गैसीय विनिमय तथा गैसों का परिवहन सम्मिलित है। इसमें भोज्य पदार्थों का आँक्सीकरण नहीं होता है, फलत: उर्जा का निष्कासन नहीं होता है|
ATP अणुओं का निर्माण होता है। | इसके अन्तर्गत गैसीय विनिमय तथा गैसीय परिवहन होता है।
इसमें भोज्य पदार्थों का आँक्सीकरण होता है और उर्जा निष्कासित होती है।
ATP अणुओं का निर्माण होता है| |
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : मानव शरीर की संरचना, पार्ट-I
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : मानव शरीर की संरचना, पार्ट-II
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