पानीपत के समालखा की रहने वाली मधुमिता ने अपनी मेहनत से अपना ही नहीं अपने पिता का भी बरसों का सपना पूरा किया है। मधुमिता के पिता महावीर सिंह ने 1987 में IAS बनने का सपना देखा था परन्तु वह परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सके थे। इसके बाद उन्होंने दोबारा परीक्षा नहीं दी। सभी जानते हैं की हरियाणा में सबसे कम जेंडर रेश्यो है, ऐसे में उनके पिता का अपनी बेटी की काबिलियत पर भरोसा होना और उसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल है।
बचपन से ही मधुमिता रहीं हैं गोल्ड मेडलिस्ट
मधुमिता ने अपनी स्कूली पढ़ाई महाराज अग्रसेन स्कूल से की है। इसके बाद उन्होंने पानीपत के पाइट कॉलेज से बीबीए किया और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। फिर इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया। उन्होनें ऑल इंडिया मैथ्स ओलिंपियाड में भी गोल्ड मेडल हासिल किया है। मधुमिता के पिता एयरफोर्स में कार्यरत रहे हैं और वहां से रिटायर होने के बाद मार्केट कमेटी में काम करते हैं। उनके दो भाई हैं और माँ एक गृहणी हैं।
UPSC की परीक्षा में दो बार हुई असफल
मधुमिता ने अपना पहला एटेम्पट 2017 में दिया था जिसमे वह मेंस में सफल हुई थी पर इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाई थीं। इसके 2018 में उन्होंने एक बार फिर एटेम्पट दिया परन्तु इस बार प्रीलिम्स पास करने में भी असफल रहीं। इन दो सालों में मधुमिता ने किसी भी कोचिंग का सहारा नहीं लिया था परन्तु असफलता के बाद उन्होंने दिल्ली जा कर टेस्ट सीरीज में एडमिशन लेने का फैसला किया। वह कहती हैं की अकेले रह कर वह बेहतर तरीके से तैयारी कर पाईं और कोचिंग से भी उन्हें काफी मदद मिली।
माता पिता ने दिया पूर्ण समर्थन
मधुमिता कहती हैं की उनके इस सफर में उनके माता पिता ने उन्हें बहुत सपोर्ट किया है। संयुक्त परिवार में रहने की वजह से अक्सर उनके रिश्तेदार उनके माता -पिता पर मधुमिता की शादी करने का दबाव डालते थे परन्तु उनके माता पिता ने सभी को यह कह दिया था की जब तक उनकी बेटी अपना सपना पूरा नहीं कर लेगी वह उस पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं डालेंगे।
परीक्षा की तैयारी के लिए भाई की शादी में नहीं गई
मधुमिता बताती हैं की जिस समय उनके भाई की शादी थी उसी के कुछ दिनों बाद उनकी मेंस की परीक्षा भी थी। ऐसी समय में उन्होंने अपनी 3 साल की मेहनत को प्राथमिकता दी और दिल्ली में रह कर ही परीक्षा की तैयारी करती रहीं। नतीजा यह रहा की वह आज IAS बन गई हैं। अब उनके भाई ने भी उनसे कहा की अच्छा हुआ जो वह शादी में नहीं आई।
तीसरे एटेम्पट में मिली सफलता
सभी के सहयोग और खुद की असीम मेहनत का नतीजा यह रहा की मधुमिता ने 2017 की UPSC सिविल सेवा परीक्षा में 86वीं रैंक हासिल की। अब उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हैं। मधुमिता के पिता महावीर सिंह और मां दर्शना ने कहना है कि उन्हें अपनी होनहार बेटी पर गर्व है। उसने बताया दिया कि बेटियां किसी तरह से बेटों से कम नहीं है और क्षेत्र में उनका मान बढ़ाया है। इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी।
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